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घर वापसी कर शाबरीन बनी सीता, दुर्गा मंदिर में लिए सात फेरे

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 कौशांबी, उत्तर प्रदेश

नवरात्रि के पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में मुस्लिम युवती शाबरीन ने घर वापसी की और खुद को नया नाम सीता दिया।

मंझनपुर स्थित दुर्गा मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज से सात फेरे लिए और सनातन धर्म को अपनाने के बाद खुशी जाहिर की। यह केवल व्यक्तिगत विवाह या प्रेम कहानी नहीं थी, बल्कि सनातन धर्म की शक्ति, आस्था और सच्चाई की विजय का प्रतीक बन गई। शाबरीन ने अपने पुराने मजहबी बंधनों को तोड़ते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि उसकी आत्मा का जुड़ाव केवल सनातन धर्म से है। मंदिर के प्रांगण में वैदिक मंत्रों की गूंज और माता दुर्गा की साक्षी में सात फेरे लेने के समय पूरे वातावरण में आस्था की ऊर्जा महसूस की जा सकती थी। यह घटना यह साबित करती है कि सनातन धर्म वह शक्ति है, जो हर छल, झूठ और विरोध को पस्त कर देती है और स्त्री को देवी मानकर उसका जीवन नया सम्मान और गरिमा देती है। 

Photo Credit: ETV Bharat

नौवीं कक्षा से चल रही आस्था की राह

यह खबर केवल विवाह की नहीं, बल्कि 9 वर्षों से चल रही आस्था और संकल्प की यात्रा की भी है। शाबरीन और अभिषेक की कहानी स्कूल के दिनों से शुरू हुई थी। शाबरीन के परिवार को जब यह जानकारी हुई कि उसकी बेटी हिंदू रीति-रिवाज से शादी करना चाहती है, तो उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया। 15 सितंबर को शाबरीन की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि शाबरीन को शादी का झांसा देकर भगाया गया और युवती घर से दो लाख रुपये और जेवरात लेकर चली गई।

पुलिस ने उजागर किया सच

कड़ाधाम थाना क्षेत्र के थानाध्यक्ष धीरेंद्र कुमार सिंह ने मामले की जांच की और स्पष्ट किया कि यह आरोप पूरी तरह झूठा था। जांच में यह सामने आया कि न तो कोई चोरी हुई, न ही युवती को बहला-फुसलाकर कहीं ले जाया गया। शाबरीन और अभिषेक दोनों बालिग हैं और अपनी मर्जी से किसी भी धर्म या रीति-रिवाज के अनुसार विवाह कर सकते हैं।

मंदिर में सात फेरे और सनातन का संदेश

मंझनपुर के दुर्गा मंदिर में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ शाबरीन और अभिषेक पहुंचे। मंदिर में वैदिक मंत्रों की गूंज, दुर्गा माता की प्रतिमा के सामने लिए गए सात फेरे और अभिषेक का हाथ थामती शाबरीन का दृश्य यह दर्शाता है कि सनातन धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए कोई बाधा बड़ी नहीं होती। इस अवसर पर शाबरीन ने कहा कि उसे पहले से ही हिंदू धर्म पसंद था और आज उसने अपने हृदय की इच्छा पूरी की है।


सीता का जन्म और समाज के लिए संदेश

अभिषेक ने बताया कि वह शाबरीन को पहले से ही सीता नाम से बुलाता था और अब शाबरीन ने खुद को भी इसी नाम से स्वीकार कर लिया है। नवरात्रि के पावन दिनों में यह घटना समाज को यह याद दिलाती है कि धर्म वही है जो सत्य, आस्था और प्रेम पर टिका हो। झूठ, छल और विरोध कितने भी हों, जब सनातन का आशीर्वाद साथ होता है, तो हर बाधा अपने आप गिर जाती है। यह केवल एक विवाह नहीं, बल्कि सनातन धर्म की शक्ति का प्रतीक है, जो स्त्री को देवी मानकर उसका जीवन सम्मान और गरिमा प्रदान करती है। कौशांबी की यह घटना समाज को यह संदेश देती है कि सनातन धर्म हमेशा सत्य, धर्म और आस्था की राह दिखाता है और हर आत्मा को सच्चा सम्मान देता है।

Muslim girl married Hindu boy