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कार्यशाला

विमुद्रीकरण के मुद्दे

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प्रेरणा शोध संस्थान में विमुद्रीकरण के मुद्देपर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें विमुद्रीकरण के वर्तमान तथा दूरगामी प्रभावों पर वक्ताओं ने विस्तार से चर्चा की। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डा. अखिलेश मिश्रा (अर्थशास्त्री व मेरठ विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर) ने विमुद्रीकरण पर बताया कि वास्तव में इंसान को नगदी की आदत हो गई है और ये इनके मस्तिष्क में बैठ गया है। नगदी हमारे पास होनी चाहिए साथ ही उन्होंने विमुद्रीकरण की उपयोगिता को प्रजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से समझाया।



कार्यक्रम में नवभारत टाइम्स पोर्टल के उप संपादक श्री विश्व गौरव ने कहा कि विमुद्रीकरण से कुछ परेशानियां हैं। इनसे निपटने को लोगों को कैश लैस प्रणाली का उपयोग करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि आने वाला समय पूरी तरह डिजीटलाइजेशन का है। लोगों को कम से कम कैश का इस्तेमाल करना चाहिए। कार्यक्रम में डा. अरुण कुमार भगत (एसोसिएट प्रोफेसर, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय) तथा डा. प्रदीप कुमार (प्रोफेसर, दिल्ली विश्व विद्यालय) ने भी विमुद्रीकरण विषय पर अपने विचार रखे। इसके अलावा कार्यक्रम में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविश्वद्यालय, मास्को मीडिया, प्रेरणा मीडिया नैपुण्य संस्थान तथा अन्य विद्यालय के छात्रों ने प्रतिभाग किया। और अपने विचार रखे व वक्ताओं से प्रश्नोत्तर किए। कार्यक्रम का संचालन दीक्षान्त सूर्यवन्शी ने किया।