बागेश्वर। भारत के लद्दाख और हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में सबसे अधिक ग्लेशियर पाए जाते हैं जिनमें पिंडारी, सुंदरढूंगा, कफनी ग्लेशियरों को सबसे सुंदर ग्लेशियर माना जाता है। यहाँ प्रतिवर्ष देश विदेश से लगभग 10 से 15 हजार प्रर्यटक ट्रेकिंग और अन्य साहसिक कार्यों का लाभ उठाते हैं। इन ग्लेशियरों पर अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर तक यात्रयों की भरमार रहती है।
इस बार
मौसम को देखते हुए पर्यटकों का आवागमन अक्टूबर से शुरू होगा। लेकिन इस बार यहाँ
स्वच्छता पर विशेष ध्यान देते हुए वन तथा पर्यटक विभाग ने यात्रयों से ग्लेशियर पर
कूड़ा-कचरा न फैलाने का आग्रह किया है। विभाग के निर्देशानुसार ट्रेकिंग पर जाने
वाले ट्रेकर अब अपना कूड़ा साथ लाकर वन विभाग की चौकी में जमा कराएंगे।
विभाग का
कहना है कि पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोग भी मवेशियों के चुगान आदि कार्यों के
लिए ट्रेकिंग रूटों पर जाते हैं, जो अपने साथ विभिन्न जरूरी सामान आदि लेकर जाते
हैं। इससे ग्लेशियरों के आसपास काफी कूड़ा जमा हो जाता है, जिसकी सफाई के लिए
विशेष अभियान चलाना पड़ता है। इस समस्या के समाधान की दिशा में वन तथा पर्यटन
विभाग ने ट्रेकरों के लिए स्वच्छता सुरक्षा शुल्क का प्रविधान भी किया है। इस
प्रविधान के अनुसार स्थानीय ट्रेकरों के लिए यह शुल्क 2000, देसी पर्यटकों और ट्रेकरों
के लिए 5000 तथा विदेशियों के लिए 10,000 रुपये है। ये शुल्क
पर्यटकों को ट्रेक पर जाने से पहले जमा करनी होगी और ट्रेक से वापस आकर कूड़ा जमा करने
पर ही यह शुल्क उन्हें वापस किया जाएगा।
पर्यावरण
संरक्षण और स्वच्छता की देशा में वन तथा पर्यटन विभाग की ओर से किया गया यह कार्य
वास्तव में सराहनीय है। अन्य विभागों को भी इससे सीख लेकर इस दिशा में कार्य करना चाहिए।