27 संत जाएंगे जापान, सनातन संस्कृति का वैश्विक अभियान
हरिद्वार के एसएमजेएन कॉलेज परिसर में आयोजित भव्य पट्टाभिषेक समारोह में सनातन धर्म के वैश्विक विस्तार की बड़ी घोषणा हुई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि वर्ष 2026 की धर्म संसद जापान में आयोजित की जाएगी। इस आयोजन को लेकर संत समाज में अत्यन्त उत्साह देखने को मिल रहा है।
साधु-संतों का प्रतिनिधिमंडल जाएगा जापान
श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने बताया कि इस संबंध में हरिद्वार से 27 सदस्यीय साधु-संतों का प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही जापान रवाना होगा। प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना का वैश्विक स्तर पर प्रसार करना होगा।
जापान के आदित्यनंद बने महामंडलेश्वर
समारोह के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण तब आया, जब जापान के आदित्यनंद को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी का महामंडलेश्वर घोषित किया गया। इसके साथ ही उनका नाम महामंडलेश्वर स्वामी आदित्यनंद गिरि रखा गया। वैदिक परम्पराओं के अनुरूप पुष्प वर्षा के साथ उनका भव्य पट्टाभिषेक किया गया।
बौद्ध से सनातन तक की आध्यात्मिक यात्रा
महामंडलेश्वर स्वामी आदित्यनंद गिरि पहले बौद्ध धर्म से जुड़े थे और लगभग 15 वर्ष पूर्व उन्होंने सनातन धर्म में दीक्षा ली थी। उन्होंने बताया कि दीक्षा के बाद 240 दिनों की कठोर तपस्या के दौरान उन्होंने केवल एक गिलास दूध पर जीवन यापन किया। संत समाज ने इसे त्याग और साधना का दुर्लभ उदाहरण बताया।
महामंडलेश्वर पद केवल सम्मान नहीं, दायित्व भी
पट्टाभिषेक के अवसर पर श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि यह केवल धार्मिक सम्मान नहीं, बल्कि धर्म रक्षा, समाज मार्गदर्शन और आध्यात्मिक चेतना के प्रसार का बड़ा दायित्व भी है।
कार्यक्रम में संतों और श्रद्धालुओं की मौजूदगी
महामंडलेश्वर स्वामी आदित्यनंद गिरि ने सभी संतों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी का महामंडलेश्वर बनना उनके लिए गौरव का विषय है। उन्होंने सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए पूरी निष्ठा से कार्य करने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम में श्रीमहंत महेश पुरी, महंत राज गिरि, एसएमजेएन कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा सहित जापान से आए 25 श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।



