चित्रकूट,उत्तर प्रदेश
बदलते भारत के साथ अब गांव भी शीघ्रता से प्रगति कर रहे हैं। चाहे शिक्षा हो, या हो तकनीक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते ये गांव एक नई कहानी कह रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण प्रस्तुत किया है उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के रैपुरा गांव ने, जहाँ ग्राम प्रधान जगदीश पटेल की पहल ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है।
रैपुरा गांव में शिक्षा की नई रोशनी
मिली जानकारी के अनुसार चित्रकूट जिले के रैपुरा गांव में
शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव आया है। ग्राम प्रधान जगदीश पटेल ने गांव में डिजिटल
लाइब्रेरी की शुरुआत की है, जहां बच्चे
SSC,
NEET, UPSC और PCS जैसी बड़ी परीक्षाओं की तैयारी कर
रहे हैं। ये सुविधा बिल्कुल निःशुल्क है और आसपास के 20 किलोमीटर के गांवों के बच्चे भी
यहां पढ़ने आ रहे हैं।
आधुनिक सुविधाओं से लैस है लाइब्रेरी
इस डिजिटल पुस्तकालय में किताबें, करंट अफेयर्स, कंप्यूटर लर्निंग मैटेरियल और
प्रतियोगी परीक्षाओं की गाइड्स मौजूद हैं। साथ ही यहां फ्री वाई-फाई, एसी, अच्छी रोशनी और बैठने की बेहतरीन
व्यवस्था भी है।
दान से चल रही है व्यवस्था
पुस्तकालय का खर्च ग्राम प्रधान और गांव से निकले IAS, PCS और सरकारी अधिकारियों की मदद से
चल रहा है। उन्होंने किताबें और पैसे दान किए हैं। कुछ लोग हर महीने 100 से 300 रुपए तक दान कर रहे हैं ताकि यह
सेवा लगातार चलती रहे। यहां एक परंपरा यह भी बन गई है कि गांव में किसी की शादी की
वर्षगाठ या किसी
का जन्मदिन हो, तो लोग पुस्तकालय में किताब भेंट करते हैं।
अभिभावकों को है गर्व
पुस्तकालय में बच्चों को पढ़ते देखकर उनके माता-पिता की आंखों
में उम्मीद और गर्व की चमक साफ दिखती है। एक अभिभावक ने कहा कि पहले गांव में
पढ़ाई छोड़नी पड़ती थी या लड़कियों को शहर नहीं भेज सकते थे, लेकिन अब गांव में ही बच्चों को
अच्छी तैयारी का मौका मिल रहा है।
आगे टैबलेट बांटने की योजना
ग्राम प्रधान जगदीश पटेल ने बताया कि अब योजना है कि जिन
बच्चों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं हैं, उन्हें टैबलेट दिए जाएंगे ताकि वे भी
डिजिटल पढ़ाई से जुड़ सकें। दशहरे पर गांव लौटने वाले अधिकारियों से मिलकर यह
प्रस्ताव रखा जाएगा। रैपुरा गांव की डिजिटल पुस्तकालय एक नई सोच की शुरुआत है, जो दिखाती है कि अगर नेतृत्व
मजबूत हो और समाज साथ दे, तो छोटे गांव
में भी बड़े बदलाव लाए जा सकते है।