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गाजियाबाद की शबनम ने उठाई सास-ससुर के लिए कांवड़

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गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

शोहर की मौत के बाद शबनम के परिजनों ने उससे मुंह मोड़ लिया, मायका उसे बोझ समझने लगा और समाज ने सिर्फ ताने दिए, तब एक हिंदू परिवार ने उसे बहू नहीं, बेटी बनाकर अपनाया और उसी ममता ने शबनम को सिर्फ नया घर नहीं अपितु नया जीवन, नया विश्वास दिया। आज वही शबनम सावन के पवित्र महीने में 21 लीटर गंगाजल के साथ कांवड़ उठाकर हरिद्वार से गाजियाबाद लौटी है और इस कांवड़ में उसके सास-ससुर की तस्वीरें लगी हैं, जिनकी लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए वो भोलेनाथ से प्रार्थना करती है — यही तो है सनातन की महिमा, जहाँ रिश्ते खून से नहीं, करुणा और संस्कार से बनते हैं, जहाँ धर्म जाति से नहीं, आत्मा की सच्चाई से जुड़ता है और जहाँ एक ठुकराई गई मुस्लिम स्त्री को मां-बाप, परिवार और सम्मान सब कुछ मिल जाता है। शबनम की ये यात्रा सिर्फ एक कांवड़ यात्रा नहीं, ये उस सनातन की जीवित व्याख्या है जो हर टूटे हुए को जोड़ता है, हर त्यागे हुए को अपनाता है और हर भूले हुए को उसकी असली पहचान वापस दिलाता है और आज, कांधे पर कांवड़ के साथ चलते हुए शबनम सिर्फ एक स्त्री नहीं, सनातन की बेटी बन चुकी है।

मुस्लिम बहू 'शबनम' ने उठाई कांवड़, 40 लीटर गंगाजल लेकर कर रही यात्रा, बोली-  इसी से सास-ससुर को नहलाऊंगी | Muzaffarnagar muslim woman Kanwar Yatra uttar  pradesh news

मुस्लिम महिला शबनम की शिव भक्ति: सास-ससुर के लिए पति संग लाई 40 लीटर गंगाजल  की कावड़