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बदरीनाथ मन्दिर के कपाट बन्द होने की प्रक्रिया हुई शुरू

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चमोली, उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड की चार धाम यात्रा समाप्ति की ओर है। चारों धामों में से गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट अक्टूबर महीने में बंद हो चुके हैं. जबकि बैकुंठ धाम बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को बन्द होंगे। हालांकि, कपाट बंद होने की प्रक्रिया 21 नवंबर से शुरू हो गई है।

जानकारी के अनुसार बदरीनाथ धाम में कपाट बन्द होने से पाँच दिन पहले पंच पूजाओं की शुरुआत होती है। इन दिनों अलग-अलग मंदिरों में साल की अंतिम पूजा की जाती है और पूजा के बाद उनके कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इसी क्रम को पंच पूजाएं कहा जाता है। सबसे पहले गणेश मंदिर में पूजा की जाती है। पूजा के बाद गणेश मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं। दूसरे दिन आदिकेदारेश्वर मंदिर में अन्नकूट होता है। इसमें भगवान शिव को पके हुए चावलों का भोग लगाया जाता है और शिवलिंग को अन्नकूट से ढक दिया जाता है। इसके बाद इस मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं.. वही तीसरे दिन खड़क पुस्तक पूजन और वेद ऋचाओं का वाचन बंद किया जाता है और चौथे दिन माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित किया जाता है। इसके बाद विधि-विधान से बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल के अनुसार बदरीनाथ में यह परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है। मान्यता है कि छह माह मनुष्य भगवान की पूजा करते हैं और छह माह देवता पूजा-अर्चना का कार्य संभालते हैं।

इस वर्ष कपाट बंद होने की प्रक्रिया 21 नवंबर से शुरू हुई।

-21 को बदरीनाथ भगवान और गणेश मंदिर में विशेष पूजा की गई।

-22 नवंबर को आदिकेदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद होंगे।

-23 नवंबर को सभा मंडप में धार्मिक पुस्तक पूजन और वेद पाठ बंद किया जाएगा।

-24 नवंबर को माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग चढ़ाया जाएगा और विशेष पूजा होगी।

-25 नवंबर को दोपहर 2:56 बजे शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।