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पितरों को साँसों में जिन्दा’ रखने का संकल्प, टिहरी और पौड़ी में ग्रामीणों की अनोखी मुहिम

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पर्यावरण संरक्षण को लेकर न केवल सरकारें गम्भीर नजर आ रही है, तरह-तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं। वहीं विभिन्न सामाजिक संगठन और सामान्य लोग भी इस दिशा में सराहनीय कदम उठा रहे हैं।

पितृपक्ष में जब सभी अपने-अपने पितरों को तर्पण और पिंडदान करने बड़ी संख्या में देवभूमि उत्तराखण्ड पहुँच रहे हैं। ऐसे में टिहरी के 38 गाँवों में ‘पितरों को सांसों में जिंदा’ रखने का संकल्प लिया जा रहा है। प्रत्येक गाँव में पितरों की स्मृति में 200 पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 1800 पौधे लगाए जा चुके हैं। जिस क्षेत्र में ये पौधे लगाये जा रहे हैं उसे पितृवन नाम दिया गया है। 

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ग्रामीणों की मानें तो पितरों के नाम पर ग्राम समाज की भूमि को हरा-भरा करने के उद्देश्य से 3 वर्ष पूर्व यह पौधारोपण अभियान शुरू किया गया था। 

बदरीनाथ धाम में पितृवन के चलते हरियाली बढ़ रही है। देवदर्शनी से पहले हेलीपैड तक एक हेक्टेयर भूमि में वन विभाग की ओर से पितृवन विकसित किया गया है। 

वहीं पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर में भी पितरों को पौधारोपण कर श्रद्धांजलि देने की परम्परा शुरू की गई है, ताकि आने वाले भविष्य को विरासत में शुद्ध हवा और संतुलित पर्यावरण मिल सके।

पितरों को श्राद्ध देने के अलावा किसी पर्व, बच्चों के जन्मदिन समेत दूसरों पर भी ग्रामीण पौधारोपण कर उत्सव मनाते हैं। पौधारोपण के लिए ग्राम समिति के अतिरिक्त उद्यान व वन विभाग भी ग्रामीणों को पौधे उपलब्ध कराते हैं। 

ग्रामीण क्षेत्र विकास समिति रानीचौरा के अध्यक्ष सुशील बहुगुणा का कहना है कि ये पौधे वृक्ष बनकर फल, छाया और चारा रूप आशीर्वाद देंगे और प्रकृति का संरक्षण भी करेंगे।