उत्तर प्रदेश की मिट्टी जरूरतमंदों के लिए सोना उगल रही है
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं... क्योंकि दीपावली पर्व पर मिट्टी के उत्पादों की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री ने मिट्टी और स्थानीय कला को नई उड़ान दी है।
दीपावली के अवसर पर उत्तर प्रदेश ने कई शहरों में माटीकला मेलों का आयोजन किया.. आत्मनिर्भरता और स्वदेशी अपनाओ जैसी प्रधानमंत्री की अपीलों ने लोगों का इन मेलों की ओर रुझान बढ़ाया... वहीं मेलों में हस्तशिल्प उत्पादों ने आकर्षित किया... हुनर से तैयार उत्पादों की इस बार खूब डिमांड रही। पर्व से ठीक पहले आयोजित इन मेलों ने कारीगरों की झोली भर दी है।
आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष मेलों में 4 करोड़ 20 लाख रुपये के उत्पादों की बिक्री हुई है। यह दिखाता है कि वोकल फॉर लोकल अभियान को त्योहारों पर कितना समर्थन मिला है।
खरीददारी में इस बार लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर देहात और मुरादाबाद के साथ-साथ आगरा के उत्पादों की भी भारी मांग रही। दीपावली के लिए विशेष रूप से बनाए गए मिट्टी के दीयों और मूर्तियों की बिक्री ने बिक्री का ग्राफ ऊँचा उठा दिया।
पिछले वर्ष की तुलना में 27.7% की बढ़ोतरी
पिछले साल, इन मेलों में 3 करोड़ 29 लाख रुपये के उत्पाद बिके थे। इसकी तुलना में इस बार आमदनी में सीधे 27.7 प्रतिशत की शानदार बढ़ोतरी हुई है।
दीपावली के त्योहार ने माटी कला से जुड़े हजारों परिवारों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। यह न मात्र कला को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि स्थानीय कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।



