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वर्ष 2024 की बोर्ड परीक्षाओं में विद्या भारती के 6600 छात्रों ने मेरिट में स्थान हासिल किया

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मिशन चंद्रयान की लीड टीम में 9 पूर्व छात्रों का सहभाग, 2023 सिविल सेवा परीक्षा में 16 पूर्व छात्रों का चयन

समाज के सहयोग से समाज के हर वर्ग तक विद्या भारती

नई दिल्ली. विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की ओर से कंस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में संगठन के कार्य के बारे में जानकारी प्रदान की. विद्या भारती के अध्यक्ष डी. रामकृष्ण राव ने विद्या भारती के कार्य की विस्तृत जानकारी साझा की.

उन्होंने बताया कि गोरखपुर में 1952 में प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर प्रारम्भ हुआ. वर्तमान में भारत के 682 जिलों में 12,094 औपचारिक विद्यालयों का सञ्चालन किया जा रहा है. इनमें से लगभग 100 विद्यालय आवासीय हैं. 200 से अधिक सीबीएसई और शेष स्थानीय राज्य शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध हैं. सामाजिक उत्तरदायित्त्व को निभाते हुए विद्या भारती पूर्वोत्तर क्षेत्र तक सुदूर दुर्गम तथा जनजातीय क्षेत्रों, महानगरों की सेवा बस्तियों इत्यादि में 8000 से ज्यादा अनौपचारिक शिक्षा केंद्र निःशुल्क चला रही है. संवेदनशील व अशांत क्षेत्रों में और मणिपुर में शरणार्थी शिविरों में रह रहे 480 परिवारों के विद्यार्थियों के लिए स्कूल ऑन व्हील्स का नवीन प्रयोग भी किया गया है. एक आयाम के रूप में विद्या भारती लगभग पिछले चार दशकों से बालिका शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना विशेष योगदान दे रही है. सभी विद्यालयों में तकरीबन 34 लाख छात्र-छात्राएँ अध्ययनरत हैं. विद्या भारती लगभग 1 लाख 37 हज़ार शिक्षक बंधु- बहनों के उद्यम से विद्यार्थियों में नवीन शिक्षा कौशल और नैतिक चरित्र मूल्यों को स्थापित करने का प्रयास कर रही है. यही नहीं, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विद्या भारती 54 महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय भी संचालित करती है. इसी प्रकार आई. टी. आई., कृषि विज्ञान केंद्र और विद्यालय स्तर पर कौशल विकास केन्द्रों के माध्यम से विद्या भारती जन-शिक्षण और विकास के कार्यक्रमों में लगातार अपना योगदान दे रही है. संविधान की 8वीं अनुसूची की 22 भाषाओं में से 20 भाषा माध्यमों में विद्या भारती शिक्षा का कार्य कर रही है.

डी. रामकृष्ण राव ने कहा कि “सा विद्या या विमुक्तये” के ध्येय वाक्य के साथ विद्या भारती लगातार शिक्षा और शिक्षण के विकास में योगदान के लिए प्रयासरत है. समय के साथ शिक्षा और शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता में सतत सुधार की आवश्यकता रहती है. इसी उद्देश्य से विद्या भारती अपने विस्तृत और व्यापक कार्यप्रणाली के अनुभवों को विभिन्न सरकारों के आमंत्रण पर उनसे साझा करती रही है. विद्या भारती एक समाज-केंद्रित व समाज-पोषित संस्था है. विद्या भारती शिक्षा और शैक्षणिक संस्थाओं में आधुनिक रूप से कार्यकुशल और भारतीय जीवन मूल्य केंद्रित नई पीढ़ी के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है. विद्या भारती द्वारा संचालित शिक्षण संस्थान शैक्षणिक संस्था के साथ-साथ सामाजिक चेतना के केंद्र भी हैं.

देश भर में वर्ष 2024 की हाई स्कूल मेरिट लिस्ट में 2755 तथा हायर सेकेंडरी मेरिट लिस्ट में 3922 छात्रों ने स्थान प्राप्त किया. सिविल सेवा परीक्षा 2023 में 16 पूर्व छात्रों ने स्थान पाया. शिक्षा के महत्त्वपूर्ण आयाम जैसे कि बच्चों में वैज्ञानिक समझ, रुचि तथा नवाचार को प्रोत्साहित करने के सतत प्रयास विद्या भारती करती रही है. उदाहरण के लिए, अटल टिंकरिंग लैब प्रकल्प की 770 विद्यालयों में स्थापना हो चुकी है. विद्या भारती के पूर्व छात्रों ने भी समाज के विभिन्न कार्य क्षेत्रों में अपनी सहभागिता से न सिर्फ विद्या भारती अपितु पूरे देश को गौरवान्वित किया है. मिशन-चंद्रयान की लीड टीम में विद्या भारती के 9 पूर्व छात्रों का सहभाग जैसी प्रासंगिक उपलब्धियां उदाहरण हैं. वर्तमान में पूर्व छात्र पोर्टल पर 9,33,209 पूर्व छात्र पंजीकृत हैं. यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि विद्या भारती के पूर्व छात्र समाज के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में कार्यरत हैं.

नवाचार

शैक्षणिक गुणवत्ता के विकास हेतु विद्या भारती द्वारा कुछ विशेष संस्थान भी खड़े किये गए हैं. जिनमें मुख्य हैं, ‘विद्वत परिषद’ – जो विद्या भारती के अकादमिक काउंसिल जैसा काम करता है. विभिन्न शैक्षणिक विषयों पर गोष्ठियां और विमर्श द्वारा समस्या-निदान व भविष्य की कार्यनीति पर चर्चा होती है.

‘भारतीय शिक्षा शोध संस्थान’, लखनऊ द्वारा शिक्षा के नए विषयों पर अनुसन्धान का क्रियान्वन व सञ्चालन होता है.

‘मानक परिषद’- जो विद्यालयों की गुणवत्ता के मानदंड निर्धारित करता है और ‘प्रशिक्षण’ – जिसमें नियुक्ति पूर्व तथा पश्चात आचार्यों को शिक्षण शैली व अन्य विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है. अन्य महत्त्वपूर्ण नवाचारों में विद्या भारती द्वारा आयोजित विज्ञान मेला, गणित मेला, और अखिल भारतीय संस्कृति महोत्सव इत्यादि हैं.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के 5-3-3-4 के प्रारूप अनुसार बाल्यावस्था से शिक्षा की शुरुआत बालवाटिका से करने के सुझाव पर विद्या भारती पहले से ही कार्यरत है. विद्या भारती द्वारा संचालित शिशु वाटिका- बस्ता विहीन, परीक्षा विहीन, गृह कार्य विहीन, तनाव विहीन, गतिविधि आधारित शिक्षा पद्धति का समावेश करती आ रही है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति अनुसार बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा पर राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा अनुसार विद्या भारती अपने शिशु वाटिका के पाठ्यक्रम में अपेक्षित परिवर्तन और स्कूल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा के अनुरूप पाठ्यक्रम के विकास के लिए उपयुक्त कदम उठा रहा है.