बागेश्वर, उत्तराखण्ड
बर्फीले रास्ते, कठिन चढ़ाइयां और ऑक्सीजन की कमी जैसी चुनौतियों को मात देते हुए केविन ने साबित कर दिया कि जज्बा और धैर्य से हर लक्ष्य को पाया जा सकता है। केविन की यह यात्रा प्रेरणा बन गई है उन सभी के लिए, जो रोमांच और प्रकृति से प्रेम रखते हैं।
सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती। जब ध्येय स्पष्ट और इरादे मजबूत हो तो उम्र, अमीरी, गरीबी या कठिन रास्ते,कोई सफलता के आड़े नहीं आ सकता। ऐसा ही कमाल कर दिखाया है, बेंगलुरु निवासी 9 वर्ष के केविन ने रास्ते बर्फीले और चढ़ाई पथरीली ऑक्सीजन की कमी लेकिन ये सब चुनौतियां नन्हे पर्वतारोही के साहस के आगे एक क्षण भी न टिक पाईं। केविन ने वो कमाल कर दिखाया, जो 9 वर्ष के दूसरे बच्चे शायद कल्पना भी न सके। केविन का ध्येय स्पष्ट था। उत्तराखंड की देवभूमि बागेश्वर में सुंदरढुंगा ग्लेशियर के सबसे ऊंचे पहाड़ पर तिरंगा फहराना। केविन ने उम्र को ध्येय के बीच ना आने दिया और ट्रेक विथ दानू समूह के नेतृत्व में 18 मई को 2025 को 15 हजार फीट की ऊंचाई वाले ग्लेशियर के लिए चढ़ाई शुरू कर दी।
केविन ने सभी चुनौतियों को मात देते हुए 24 मई को इतिहास रच दिया। उसकी जिजीविषा, धैर्य और साहस ने न केवल उसके साथियों को चौंकाया, अपितु पूरे पर्वतारोहण जगत को प्रेरित कर दिया है। एक बार फिर ये स्पष्ट हो गया कि साहस के आगे पर्वत भी झुक जाते हैं।