नई दिल्ली
विश्व हिन्दू परिषद संस्कृत आयाम के अखिल भारतीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार जी ने कहा कि हवाई जहाज की सुरक्षा सूचनाओं से लेकर सब जगह भारतीय भाषाओं का विकल्प होने पर भी कुछ लोग अंग्रेजी के प्रति अतिरिक्त प्रेम दिखाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमारी भारतीय भाषाएं कमजोर हैं। यह हिन्दुत्व के गौरव काल की तरह भारतीय भाषाओं की पहचान और सम्मान का भी समय है। हम देववाणी संस्कृत पढ़ा रहे हैं, ईश्वरीय संदेश के ध्वजवाहक हैं, यह पुण्य के साथ राष्ट्र भक्ति का ही कार्य है। विहिप का संस्कृत आयाम वर्षों से देशभर में घर- घर तक संस्कृत सिखाने के लिए अखिल भारतीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग के माध्यम से संस्कृत शिक्षक तैयार कर रहा है, यह हमारे लिए गौरव की बात है।
दिल्ली के वसंत विहार स्थित ललित महाजन सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 03 से 12 जून तक प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया गया है। विहिप के राष्ट्रीय संस्कृत आयाम प्रमुख प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि वैदिक विद्याओं और प्राच्य विद्याओं के सम्मेलन और कार्यशालाओं के आयोजन के साथ आयाम द्वारा देशभर में संस्कृतमय वातावरण बनाने के लिए नियमित रूप से अखिल भारतीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग समाज जागरण का कार्य कर रहे हैं। इस अखिल भारतीय संस्कृत वर्ग में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड आदि राज्यों से सौ से अधिक शिविरार्थी भाग ले रहे हैं।
वर्गाधिकारी रूप में प्रो. गणेशदत्त भारद्वाज, वर्ग प्रमुख डॉ. दिनेश शास्त्री, प्रशिक्षक रूप में डॉ. सूर्यमोहन भट्ट, डॉ. सूर्यमणि भंडारी, डॉ. चितरंजन कौशल, डॉ. अशोक थपलियाल, डॉ. हरिप्रिया, डॉ. योगेंद्र शर्मा, डॉ. नवीन पांडेय, डॉ. दीपक वशिष्ठ, डॉ.पंकज सेमल्टी, डॉ. अश्विनी शर्मा, डॉ.गीता आर्य और डॉ. शिव कुमार शास्त्री आदि शामिल हैं।
अखिल भारतीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग के संयोजक और भारत संस्कृत परिषद के महासचिव सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि विगत एक दशक से देश में भारत की सनातन पहचान को मान्यता मिलने का जो कार्य धरातल पर दिख रहा है, संस्कृत आयाम उस वातावरण की रचना में प्रभावी भूमिका सिद्ध कर रहा है। वर्ग में परंपरागत विद्या और आधुनिक विद्याओं के साथ सनातन विमर्श के विषयों पर भी चर्चा होगी।