लखनऊ, उत्तर प्रदेश
डॉ.
शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले दृष्टिबाधित
विद्यार्थियों की पढ़ाई को आसान बनाने के लिए अब ‘ज्योति एआई’ डिवाइस मददगार साबित
होगी। रविवार को इस डिवाइस के उपयोग और कार्यप्रणाली को लेकर विद्यार्थियों को
विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
कल्पना कीजिए एक ऐसी दुनिया, जहाँ दिव्यंगों को आंखें न होते हुए भी रास्ते स्पष्ट दिखें, नोटों को पहचानना आसान हो, किताबें स्वयं सुनाई दें और संकट की घड़ी में मदद बस एक बटन दूर हो- यह अब कल्पना नहीं, अपितु वास्तविकता है। लखनऊ स्थित डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में ‘ज्योति एआई’ नामक स्वदेशी डिवाइस का प्रशिक्षण दिया गया, यह डिवाइस दिव्यांगजनों के जीवन में उम्मीद की नई किरण बनकर आया है।
यह डिवाइस बिना इंटरनेट के दो, चार और आठ फुट की दूरी तक अवरोधों की पहचान कर ऑडियो संकेत देता है, जिससे चलना-फिरना आसान हो जाता है। विद्यार्थियों के लिए यह टेक्स्ट को ऑडियो में बदलकर पढ़ाई को सुलभ बनाता है, दृष्टिबाधित गृहिणियों और बुज़ुर्गों के लिए दवाइयों, मुद्रा और घरेलू वस्तुओं की पहचान संभव बनाता है और आपातकाल में SOS बटन के माध्यम से सीधे सहायता केंद्र और वीडियो कॉल से जोड़ देता है। यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है। यह भारी डेटा या संसाधनों पर निर्भर नहीं करती और शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण व आत्मनिर्भरता जैसे पाँच राष्ट्रीय लक्ष्यों का मूर्त रूप है। विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह के अनुसार, यह मात्र एक उपकरण नहीं अपितु एक संवेदनशील दृष्टिकोण है, जो तकनीक को सेवा और गरिमा से जोड़ता है। वास्तव में ‘ज्योति एआई’ आधुनिक भारत की उस सोच का प्रतीक है, जहाँ हर समाज के हर वर्ग के व्यक्ति को समान अवसर, सम्मान और आत्मबल के साथ जीने का अधिकार मिल सके।