उतराखण्ड
सनातन धर्म में तीर्थयात्रा का विशेष महत्व है। यह यात्राएं केवल भगवान के दर्शन का माध्यम ही नहीं होतीं, बल्कि श्रद्धालुओं को शांति और समाज को आर्थिक मजबूती भी देती हैं। जी हां ऐसा ही कुछ हुआ हैं इस बार की चारधाम की यात्रा में
बताते चलें कि उत्तराखंड में जारी चारधाम यात्रा की शुरुआत 2 मई से हुई थी। अब तक इस पवित्र यात्रा में 32 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। इनमें से केवल केदारनाथ धाम में ही पिछले 48 दिनों में लगभग 11.40 लाख श्रद्धालु पहुंचे हैं। हालांकि केदारनाथ यात्रा को देश की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक मानी जाती है, क्योंकि इसमें श्रद्धालुओं को करीब 20 किलोमीटर का दुर्गम पहाड़ी रास्ता पैदल तय करना पड़ता है। वही इस यात्रा से व्यापारियों और स्थानीय लोगों को अच्छा लाभ मिल रहा है। पूरे यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चर, हेलीकॉप्टर सेवा, डंडी-कंडी, होटल, रेस्तरां, टैक्सी आदि से करीब 300 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ है।
घोड़े-खच्चरों से आय
20 किलोमीटर का कठिन पैदल मार्ग पार करने के बाद हिमालय पर्वत की गोद में बसे 11 वें ज्योतिलिंग के दर्शन हो पाते हैं। इस कठिन पैदल धार्मिक यात्रा में घोड़ा -खच्चरों का बेहद अहम योगदान होता है। वही मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि अब तक करीब 2.27 लाख श्रद्धालु घोड़े-खच्चरों के माध्यम से केदारनाथ पहुंचे हैं, जिससे लगभग 67 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।
हेलीकॉप्टर सेवा से आय
हेली सेवा के नोडल अधिकारी राहुल चौबे ने जानकारी दी कि इस बार 8 कंपनियां हेलीकॉप्टर चला रही हैं। अब तक 49,247 श्रद्धालु हेलिकॉप्टर से दर्शन करने पहुंचे हैं, जिससे 60 करोड़ की आय हुई है।
डंडी-कंडी सेवा
वही बुजुर्ग और असहाय लोगों के लिए डंडी-कंडी सेवा चलाई जा रही है। इस बार 7000 से ज्यादा लोग यह सेवा दे रहे हैं। इससे 2 करोड़ 71 लाख रुपए की कमाई हुई है।
टैक्सी सेवा से आय
सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक चलने वाली टैक्सी शटल सेवा से 14 करोड़ रुपये की कमाई हुई है। यहां 225 टैक्सियाँ रजिस्टर हैं, जिनमें से 25 टैक्सियाँ बुजुर्गों और महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
होटल और टेंट से आय
गौरीकुंड व्यापार संघ के अध्यक्ष रामचंद्र गोस्वामी ने बताया कि इस यात्रा से होटल और रेस्टोरेंट्स को भी बड़ा फायदा हुआ है। सिर्फ गौरीकुंड में 350 होटल, और पूरे मार्ग में 2000 से ज्यादा होटल, टेंट और भोजनालय हैं। अब तक श्रद्धालुओं के खाने-पीने और रहने से 150 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। केदारनाथ धाम की यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए आजीविका का बड़ा साधन बन चुकी है। हर साल बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या यह दिखाती है कि आस्था और सेवा जब मिलकर चलते हैं, तो समाज और अर्थव्यवस्था दोनों का भला होता है।