सेवा और समर्पण का जुनून राष्ट्र और समाज के लिए सदैव कल्याणकारी रहा है। यह बात एक बार फिर सिद्ध हुई इन महिलाओं के समाज जीवन से। जी हां हम बात कर रहे हैं पिथौरागढ़ जिले के जौलजीबी कस्बे की शकुंतला दताल की। वह 72 वर्ष की उम्र में भी वे समाज सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। समाज के प्रति उनके योगदान के लिए इस वर्ष राज्य के प्रतिष्ठित तीलू रौतेली पुरस्कार से वह सम्मानित हुईं हैं।
जौलजीबी कस्बे की रहने वाली शकुंतला दताल में समाज सेवा का भाव कूट-कूट कर भरा है। वह साल 1979 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में समाज सेवा से जुड़ीं। यहां भी उन्हें सराहनीय कार्यों के लिए उत्कृष्ट आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का राज्य पुरस्कार मिला। उसके बाद महिलाओं की समस्या हो या आम जनता की पानी, बिजली, स्वास्थ्य की समस्या वे हमेशा अगली पंक्ति में सक्रिय रही हैं। यही नहीं वह तहसील स्तर पर समस्याओं का समाधान के लिए अपने खर्च पर पिथौरागढ़, देहरादून तक लोगों को साथ लेकर जाती हैं। विधानसभा का चुनाव लड़ चुकीं शकुंतला दताल के प्रयासों से जौलजीबी में अस्पताल भी बना। इसके अलावा वह महिलाओं को हस्तशिल्प भी सिखाती हैं। इसी सामाजिक गतिविधियों में योगदान के लिए तीलू रौतेली पुरस्कार उन्हें प्रदान किया गया।
शकुंतला के अलावा समाज की अन्य गतिविधियों में सकारात्मक प्रयासों के लिए सोनिया आर्या भी सम्मानित हुईं। वह बिना दवाओं के आरोग्य प्रदान करती हैं। वह सामाजिक सरोकार हो या फिर भारतीय संस्कृति से जुड़े आयाम, हर जगह सोनिया आर्या ने बढ़ चढ़कर भागीदारी की। नेचुरल हेल्थ एक्सपर्ट एवं योग प्राणायाम से महिलाओं को वे बिना दवाओं के आरोग्य प्रदान करती हैं। वर्तमान में वह योग अनुदेशक, फिटनेस ट्रेनर, गायिका एवं डांस टीचर के रूप में भी सक्रिय हैं। योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के चलते 75 वें गणतंत्र दिवस समारोह में आयुष मंत्रालय केंद्र सरकार द्वारा उन्हें अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था।
इसी क्रम में अल्मोड़ा जिले की म रानीखेत तहसील के पांखुड़ा गांव निवासी दिव्यांग खिलाड़ी प्रीति गोस्वामी को भी तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रीति उत्तराखंड व्हीलचेयर बास्केटबॉल महिला टीम की कप्तान हैं। उन्होंने दुनियाभर में अपना जीवटता का लोहा मनवाया है। साथ ही प्रीति नेशनल स्विमर और मोटर स्पोर्ट में विनर रही हैं। इसके अलावा शॉट पुट और डिस्कस थ्रो में भी वह मेडल जीत चुकी हैं। इस तरह प्रीति ने दिव्यांगता को अपनी मजबूती बनाकर लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हैं।