- राज्य के 65,000 से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाएगा
- इसके अलावा, सैनिक कल्याण विभाग से पूर्व सैनिकों के आंकड़े लेकर उन्हें भी आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जाएगा
देहरादून। उत्तराखंड में आपदाओं से निपटने के लिए 10 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित कर ‘आपदा सखी’ बनाया जाएगा। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य आपदा प्रबंधन विभाग को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इन महिलाओं को राहत और बचाव कार्यों में ग्राम और तहसील स्तर पर सहायता के लिए तैयार किया जाएगा।
महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं महिलाएं होंगी प्रशिक्षित -
राज्य के 65,000 से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा, सैनिक कल्याण विभाग से पूर्व सैनिकों के आंकड़े लेकर उन्हें भी आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जाएगा। इन प्रशिक्षित व्यक्तियों को आपदा के समय स्थानीय स्तर पर त्वरित सहायता के लिए तैयार रखा जाएगा।
उत्तराखंड केंद्रित आपदा प्रबंधन मॉडल -
मुख्य सचिव ने राज्य की विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड केंद्रित आपदा प्रबंधन मॉडल तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों या देशों के मॉडल अपनाने के बजाय राज्य की विशेष आपदा संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना बनाई जाए।
पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन शामिल होगा -
मुख्य सचिव ने प्राथमिक विद्यालय स्तर से विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन को शामिल करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि आपदाओं से प्रभावित गांवों में पुनर्वास कार्य की स्थिति स्पष्ट की जाए।
जोखिम आकलन और बीमा योजनाओं पर जोर -
मुख्य सचिव ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के तहत सभी गांवों का जोखिम आकलन करने के निर्देश दिए। उन्होंने आपदा बीमा योजना को प्रभावी बनाने पर जोर देते हुए कहा कि यह योजना विशेष रूप से जरूरतमंद लोगों के लिए मददगार साबित हो सकती है।
सड़क हादसों पर चिंता, इनोवेटिव प्रयासों की आवश्यकता -
बैठक में राज्य में आपदाओं के तहत सड़क हादसों में होने वाली मौतों पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। मुख्य सचिव ने इन हादसों को रोकने के लिए बांस से बने क्रश बैरियर जैसे इनोवेटिव उपाय अपनाने के निर्देश दिए।
आईआरएस प्रणाली होगी सक्रिय -
उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा जहां राज्य, जिला, तहसील और पंचायत स्तर पर आईआरएस (इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम) प्रणाली सक्रिय की जाएगी। यह प्रणाली आपदा प्रबंधन को और प्रभावी बनाएगी।
बैठक में कई विभागों की भागीदारी -
बैठक में गृह, सिंचाई, वन, पंचायती राज और अन्य विभागों के अधिकारी शामिल हुए। पंचायती राज विभाग को निर्देश दिया गया कि गांवों के जीपीडीपी (ग्राम पंचायत विकास योजना) में आपदा जोखिम आकलन को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।
इस पहल के तहत उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया मॉडल पेश करने के लिए तैयार है, जिससे राज्य के नागरिकों को आपदाओं से बेहतर सुरक्षा और राहत प्रदान की जा सके।