- संभल कल्कि देवतीर्थ समिति के दिशा-निर्देश में इस कुएं समेत जिले के 41 तीर्थ और 19 कूपों को भी संरक्षित और पुनर्जीवित करने की योजना पर काम हो रहा है
- जामा मस्जिद के पास स्थित इस पुराने कुएं को वर्षों पहले बंद कर दिया गया था। पालिका ने इसकी खोदाई पूरी कर ली है और इसे संवारने का काम जारी है
संभल। संभल जिले के जामा मस्जिद के पास स्थित वर्षों पुराने बंद कुएं की खोदाई का काम पूरा हो गया है। इसे ऐतिहासिक महत्व के मद्देनजर अब प्राचीन स्वरूप में संवारा जा रहा है। संभल कल्कि देवतीर्थ समिति के दिशा-निर्देश में इस कुएं समेत जिले के 41 तीर्थ और 19 कूपों को भी संरक्षित और पुनर्जीवित करने की योजना पर काम हो रहा है।
जामा मस्जिद के पास पुराना कुआं हुआ तैयार -
जामा मस्जिद के पास स्थित इस पुराने कुएं को वर्षों पहले बंद कर दिया गया था। पालिका ने इसकी खोदाई पूरी कर ली है और इसे संवारने का काम जारी है। डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि इसे प्राचीन स्वरूप में लाने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। यह परियोजना संभल कल्कि देवतीर्थ समिति की देखरेख में पूरी की जा रही है।
41 तीर्थ और 19 कूप होंगे संरक्षित -
संभल और इसके आसपास के क्षेत्रों में स्थित ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले 41 तीर्थ और 19 कूपों को चिह्नित किया गया है। इन्हें भी प्राचीन स्वरूप में लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। संभल कल्कि देवतीर्थ समिति, जिसमें डीएम अध्यक्ष और एसपी सह अध्यक्ष हैं, इस पूरे काम की निगरानी कर रही है।
मोहल्ला दरबार में मिला जिले का सबसे बड़ा कुआं -
सरायतरीन के मोहल्ला दरबार में स्थित एक प्राचीन कुएं को जिले का सबसे बड़ा कुआं माना जा रहा है। इसकी अनोखी बनावट इसे अन्य कुओं से अलग बनाती है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह कुआं टोंक के नवाबों के शासनकाल से जुड़ा है। बताया जाता है कि इस इलाके में टोंक के राजा का दरबार लगता था और आसपास के भवन इस ऐतिहासिक दावे की पुष्टि करते हैं।
एएसआई की टीम ने किया निरीक्षण -
इस प्राचीन कुएं का निरीक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने किया। प्रशासन ने इसे भी पुराने स्वरूप में बहाल करने का निर्णय लिया है। डीएम ने कहा कि मोहल्ला दरबार में मिला यह कुआं न केवल जिले का सबसे बड़ा कुआं है, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी है।
संभल की धरोहर को लौटाया जाएगा गौरव -
संभल कल्कि देवतीर्थ समिति के प्रयासों से जिले के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को संरक्षित करने की यह पहल जिले की सांस्कृतिक धरोहर को नया जीवन देने की दिशा में बड़ा कदम है। प्रशासन और स्थानीय निवासियों के सहयोग से इन स्थलों का पुराना वैभव वापस लाने की उम्मीद की जा रही है।