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जयपुर महानगर में 108 संस्कृत सम्भाषण शिविर प्रारंभ

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जयपुर

संस्कृत भारती जयपुर महानगर द्वारा “भविष्याय संस्कृतम्” शीर्षक से एक भव्य उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन परिष्कार महाविद्यालय परिसर, मानसरोवर में किया गया। इस अवसर पर जयपुर महानगर के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित 108 संस्कृत संभाषण शिविरों का भी औपचारिक शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन, मंगलाचरण एवं वेदपाठ के साथ हुआ। तत्पश्चात् अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. प्रेमचन्द बैरवा ने कहा कि “संस्कृत का संरक्षण किए बिना संस्कृति का संरक्षण संभव नहीं है। हमें संस्कृत भाषा के अध्ययन एवं अध्यापन को बढ़ावा देना चाहिए। राज्य सरकार संस्कृत विभागों में रिक्त पदों की शीघ्र पूर्ति हेतु प्रयासरत है, जिससे संस्कृत अध्ययन- अध्यापन को गति मिल सके”। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश सोनी जी ने कहा कि “संस्कृत कोई मृत भाषा नहीं, अपितु जीवन धारा है।

भारत विश्वगुरु संस्कृत के आधार पर ही बना था और यदि भारत को पुनः विश्वगुरु बनाना है तो संस्कृत की स्थापना आवश्यक है। ब्रिटिश काल में संस्कृत और भारतीय संस्कृति दोनों को आघात पहुँचा। हमें स्वीकार करना होगा कि संस्कृत आज भी ज्ञान और विज्ञान की भाषा है। लगभग सभी भाषाओं के व्याकरण में संस्कृत व्याकरण के तत्व विद्यमान हैं”। सम्मानित अतिथि जयप्रकाश, अखिल भारतीय संगठन मंत्री, संस्कृत भारती ने कहा कि “संस्कृत को जनभाषा बनाने के लिए ग्राम स्तर पर संभाषण शिविरों का आयोजन अत्यंत आवश्यक है। यह सरल भाषा है, जिसे बोलचाल की भाषा बनाने पर बल देना चाहिए”। विशिष्ट अतिथि डॉ. राघव प्रकाश, निदेशक, परिष्कार महाविद्यालय ने कहा कि संस्कृत का व्याकरण सभी भाषाओं में सर्वोत्तम है और संस्कारों के संवर्धन के लिए संस्कृत का अध्ययन अनिवार्य है। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत भारती प्रान्त अध्यक्ष हरिशंकर भारद्वाज ने की। उन्होंने कहा “आज के समय में संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए अनिवार्य है। संस्कृत ही वह आधार है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है”।

समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में वासुदेव देवनानी, विधानसभा अध्यक्ष उपस्थित रहे। उन्होंने कहा “भारतीय ज्ञान परंपरा में संस्कृत का अद्वितीय योगदान है। संस्कृति के संरक्षण की कल्पना संस्कृत के बिना नहीं की जा सकती। संस्कृत भारती इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रही है। युवाओं को संस्कृत का अध्ययन अवश्य करना चाहिए”।

समापन सत्र में सारस्वत अतिथि सुरेश सोनी जी ने पुनः बल देते हुए कहा कि भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने में संस्कृत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। विशिष्ट अतिथि डॉ. सौम्या गुर्जर, महापौर, जयपुर ग्रेटर नगर निगम ने कहा “संस्कृत से संस्कारों का निर्माण होता है। आज की युवा पीढ़ी को संस्कृत अध्ययन हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए”।