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अगर पुष्पा कर सकती है तो आप क्यों नहीं ?

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हल्द्वानी, उत्तराखण्ड 

हल्द्वानी के पास मोटाहल्दू गाँव की एक साधारण महिला, पुष्पा पढ़ालनी आज पूरे उत्तराखण्ड में आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी हैं। कभी घर की रसोई में ही सिमटी रहने वाली पुष्पा ने जब हिम्मत दिखाई तो वही रसोई आज कारोबार की फुलवारी बन गई। राज्य सरकार की REAP परियोजना से उन्हें  75,000 रुपये की मदद मिली। उन्होंने खुद भी 75,000 रुपये जोड़े और बैंक से 1,50,000 रुपये का ऋण लेकर कुल 3 लाख रुपये की पूँजी से अपने घर में ही फूड प्रोसेसिंग यूनिट शुरू कर दी। अब जरा सोचिए जिस आँगन में कभी परिवार के लिए खाना बनता था, वहीं आज बड़ी, मुगौड़ी, अचार और चिप्स की खुशबू पूरे बाजार तक पहुँचा रही है। पुष्पा ने अपने समूह की महिलाओं को भी साथ जोड़ा, ताकि हर किसी को रोजगार और आत्मनिर्भरता का मौका मिले। धीरे-धीरे उनके उत्पाद हिलांस स्टोर, स्थानीय मेलों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक पहुँच गए। नतीजा यह हुआ कि सालाना लगभग 6 लाख रुपये की कमाई होने लगी, जिसमें से 3 लाख रुपये से ज्यादा की शुद्ध बचत उनके खाते में आती है। पुष्पा की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए राह दिखाती है, जो सोचता है कि  मेरे पास पैसे नहीं, मैं कैसे शुरू करूँ? छोटी शुरुआत करें, केवल 50,000 रुपये से भी अचार, बड़ी या मसाले का छोटा यूनिट शुरू हो सकता है। सरकारी योजना का सहारा लें REAP, आजीविका मिशन जैसी योजनाओं से पूँजी और ट्रेनिंग दोनों मिलते हैं। समूह बनाएं अकेले नहीं, 4-5 लोग मिलकर काम करें। जोखिम भी बँटेगा और मेहनत भी। पहले स्थानीय बाजार पकड़ें, मोहल्ले की दुकानों और मंडियों से शुरुआत करें, फिर धीरे-धीरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक पहुँचें। गुणवत्ता और पैकेजिंग पर ध्यान दें, स्वाद और भरोसा ही ग्राहकों को बार-बार लौटाता है। पुष्पा पढ़ालनी आज सिर्फ अपने परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की प्रेरणा हैं। उनकी सफलता यह साबित करती है कि अगर हिम्मत और संकल्प हो, तो छोटी सी रसोई भी बड़े कारोबार का जन्मस्थान बन सकती है।