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सिख विरोधी दंगे – अदालत ने पिता-पुत्र की हत्या के मामले में सज्जन कुमार को दोषी ठहराया

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नई दिल्ली। 

- विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने यह आदेश पारित किया और मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को तय की

- न्यायालय ने कहा, “आरोपी को अलग फैसले के तहत दोषी ठहराया गया है। अगली सुनवाई की तारीख पर सजा के आदेश के लिए सूचीबद्ध करें”

1984 के सिक्ख विरोधी दंगों के दौरान पिता-पुत्र की हत्या से संबंधित एक मामले में दिल्ली के एक विशेष न्यायालय ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराया। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने यह आदेश पारित किया और मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को तय की। जिसमें सजा पर बहस होगी। न्यायालय ने कहा, “आरोपी को अलग फैसले के तहत दोषी ठहराया गया है। अगली सुनवाई की तारीख पर सजा के आदेश के लिए सूचीबद्ध करें”।

सज्जन कुमार के खिलाफ 2021 में धारा 302 (हत्या), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से लैस दंगा), 149 (समान उद्देश्य के लिए किए गए अपराध के लिए गैरकानूनी सभा का प्रत्येक सदस्य दोषी), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 395 (डकैती) के तहत आरोप तय किए गए थे।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, 1 नवंबर 1984 को पश्चिमी दिल्ली के राज नगर निवासी एस जसवंत सिंह और उनके बेटे एस तरुण दीप सिंह की हत्या कुमार के नेतृत्व में हजारों लोगों की भीड़ ने कर दी थी।

मामले में पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) शिकायतकर्ता के 9 सितंबर, 1985 के हलफनामे के आधार पर दर्ज की गई थी, जिसकी पहचान छिपाई गई थी।

वर्ष 2015 में, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 1984 के दंगों के मामलों की फिर से जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया, जिसके बाद मामले में शिकायतकर्ता ने 23 नवंबर, 2016 को अपना बयान दर्ज कराया।

इस मामले में सज्जन कुमार को 6 अप्रैल, 2021 को गिरफ्तार किया गया था, जब वह 1984 के दंगों से संबंधित एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे और तिहाड़ जेल में बंद थे।

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि कुमार एक भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने लोगों की भीड़ को “बड़े पैमाने पर दंगे, आगजनी और लूटपाट” करने के लिए उकसाया था।