देहरादून, उत्तराखण्ड
तेजी से फैलते शहरीकरण और सिकुड़ते आंगनों के बीच किचन गार्डनिंग लगभग समाप्ति की ओर बढ़ रही है। मगर अब रूफटॉप वेजिटेबल गार्डनिंग योजना न केवल लोगों को शुद्ध और आर्गेनिक सब्जियां उपलब्ध करा रही है, अपितु यह पर्यावरण संरक्षण में भी बड़ा योगदान दे रही है। इसे बढ़ावा देने के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने सराहनीय योजना की शुरुआत की है जिसके तहत ना केवल लोगों को निशुल्क ग्रो-बैग, टूलकिट और प्रशिक्षण दिया जा रहा है अपितु उन्हें रूफ टॉप गर्देनिंग के लिए 50 प्रतिशत तक आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवा रही है। छतों पर उगाई जा रही सब्जियां और पौधे आसपास की हवा को शुद्ध करने में मददगार साबित होंगे। पत्तियों से निकलने वाली ऑक्सीजन शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने का कार्य करेगी। छतों पर हरियाली बढ़ने से गर्मियों में मकानों का तापमान कम होगा, जिससे बिजली की खपत और एसी जैसे उपकरणों का उपयोग भी घटेगा। यह न केवल परिवार की जेब के लिए लाभकारी है अपितु जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने का स्थानीय समाधान भी है। उद्यान विभाग लोगों को गोबर और वर्मी कम्पोस्ट जैसे प्राकृतिक खादों के प्रयोग के लिए प्रेरित कर रहा है। इससे घरों से निकलने वाले जैविक कचरे का सही उपयोग हो सकेगा और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटेगी। पत्ता गोभी, फूल गोभी, बैंगन, टमाटर और शिमला मिर्च जैसी सब्जियां शहर की छतों पर उगकर शहरी जैव विविधता को बढ़ाएंगी। यह छोटे-छोटे ग्रीन जोन बनकर पक्षियों, मधुमक्खियों और अन्य कीटनाशक जीवों को भी सहारा देंगे। इससे आम नागरिक आसानी से इस हरित अभियान से जुड़ सकते हैं। कुल मिलाकर, यह योजना केवल सेहत और आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं है अपितु शहरों में हरियाली, स्वच्छ हवा और जलवायु संतुलन की दिशा में एक पर्यावरण-मित्र पहल है।