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एएसआई ने श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका में अंतर्जलीय अन्वेषण शुरू किया, पांच सदस्यीय टीम में 3 महिला पुरातत्वविद भी शामिल

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द्वारका, गुजरात। 

- इस अन्वेषण के माध्यम से द्वारिका नगरी का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक साक्ष्य जुटाया जाएगा। पानी के नीचे की जा रही खोज समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

- एएसआई में यह पहली बार है, जब किसी दल में बड़ी संख्या में महिला पुरातत्वविद शामिल की गई हैं तथा सबसे अधिक संख्या में पुरातत्वविदों द्वारा पानी के अंदर अन्वेषण में सक्रिय रूप से भाग लिया जा रहा है।

समुद्र में डूबी भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका के साक्ष्य जुटाने के लिए एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने खोज प्रारंभ कर दी है। एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक (पुरातत्व) प्रो. आलोक त्रिपाठी के नेतृत्व में पांच पुरातत्वविदों की टीम ने मंगलवार को द्वारिका तट पर पानी के नीचे खोज शुरू की। टीम में निदेशक (खुदाई एवं अन्वेषण) एचके नायक, सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. अपराजिता शर्मा, पूनम विंद और राजकुमारी बारबिना ने प्रारंभिक जांच के लिए गोमती क्रीक के पास क्षेत्र का चयन किया है। इस अन्वेषण के माध्यम से द्वारिका नगरी का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक साक्ष्य जुटाया जाएगा। पानी के नीचे की जा रही खोज समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

एएसआई में यह पहली बार है, जब किसी दल में बड़ी संख्या में महिला पुरातत्वविद शामिल की गई हैं तथा सबसे अधिक संख्या में पुरातत्वविदों द्वारा पानी के अंदर अन्वेषण में सक्रिय रूप से भाग लिया जा रहा है।

एएसआई का नवीनीकृत अंडरवाटर पुरातत्व विंग (यूएडब्ल्यू) 1980 के दशक से पानी के नीचे पुरातात्विक अनुसंधान में सबसे आगे रहा है। 2001 से विंग बंगाराम द्वीप (लक्षद्वीप), महाबलीपुरम (तमिलनाडु), द्वारिका (गुजरात), लोकतक झील (मणिपुर) और एलीफेंटा द्वीप (महाराष्ट्र) जैसे स्थलों पर अन्वेषण कर रहा है। इससे पहले अन्तर्जलीय पुरातत्व स्कंध ने 2005 से 2007 तक द्वारका में अपतटीय और तटीय उत्खनन किया था। कम ज्वार के दौरान तटीय क्षेत्रों की छानबीन की गई थी, जहां मूर्तियां और पत्थर के लंगर पाए गए थे। उन खोजों के आधार पर, अन्तर्जलीय उत्‍खनन किया गया।

पहले 2005, फिर 2007 में एएसआई के निर्देशन में भारतीय नौसेना के गोताखोरों ने समुद्र में समाई द्वारिका नगरी के अवशेषों के नमूनों को सफलतापूर्वक निकाला। समुद्र की गहराई में कटे-छंटे पत्थर मिले और लगभग 200 नमूने एकत्र किए गए थे।

पुरातत्वविद् प्रो. एसआर राव और उनकी टीम ने 1979-80 में समुद्र में 560 मीटर लंबी द्वारिका की दीवार की खोज की थी। उस दौरान उन्‍हें वहां पर बर्तन भी मिले, जो 1528 ईसा पूर्व से 3000 ईसा पूर्व के हैं। इसके अलावा सिन्धु घाटी सभ्‍यता के भी कई अवशेष खोजे।