उत्तर प्रदेश ।
-मदरसों के बाद पहली बार मकतब पर होगी नजर
-फंडिंग कहा से, अल्पसंख्यकों के अफसरों से रिकार्ड मांगा
उत्तर प्रदेश एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 473 मकतबों की जांच का फैसला किया है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य मकतबों के फंडिंग स्रोत, प्रशासनिक संरचना और गतिविधियों पर निगरानी रखना है, ताकि इन संस्थानों में किसी प्रकार की गैरकानूनी या संदिग्ध गतिविधियों की पहचान की जा सके। इससे पहले, सरकार ने राज्य के मदरसों पर भी इसी प्रकार की जांच शुरू की थी, और अब मकतबों पर भी नज़र रखी जा रही है।
मकतबों की जांच के प्रमुख बिंदु-
फंडिंग स्रोत-
एटीएस मकतबों को मिलने वाले फंड्स के स्रोत की विस्तार से जांच करेगी। मकतबों को मिलने वाले फंड्स में यह देखा जाएगा कि क्या ये फंडिंग विदेशी स्रोतों से तो नहीं हो रही है, जिससे देश में कट्टरपंथ या चरमपंथी विचारधाराओं को फैलाने का खतरा हो सकता है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, मकतबों को मिलने वाली धनराशि का एक बड़ा हिस्सा विदेशों से प्राप्त हो सकता है, और एटीएस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इन फंड्स का उपयोग कहीं राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में न किया जा रहा हो।
पाठ्यक्रम और गतिविधियां-
एटीएस मकतबों में पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम की भी जांच कर रही है। मकतबों में दी जा रही धार्मिक शिक्षा का उद्देश्य सही धार्मिक और नैतिक शिक्षा देना होना चाहिए, लेकिन अगर इसमें किसी प्रकार की अतिवादी विचारधारा या कट्टरता का प्रचार होता है, तो उस पर रोक लगाई जाएगी। इसके अतिरिक्त, मकतबों में अन्य गतिविधियों जैसे सामाजिक या सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर भी एटीएस की नज़र रहेगी, ताकि किसी प्रकार की आपत्तिजनक गतिविधियों का संचालन न हो रहा हो।
पंजीकरण और प्रशासनिक रिकॉर्ड-
अल्पसंख्यक विभाग से इन मकतबों का पंजीकरण विवरण और प्रशासनिक रिकॉर्ड मांगे गए हैं। यह देखा जाएगा कि क्या सभी मकतब उचित सरकारी नियमों का पालन कर रहे हैं और उनका पंजीकरण वैध है। इसके अलावा, मकतबों के प्रबंधन समिति के सदस्यों और उनके प्रशासनिक ढांचे का भी विश्लेषण किया जाएगा।
संदिग्ध व्यक्तियों से संबंध-
एटीएस की इस जांच का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू मकतबों के संपर्कों का विश्लेषण करना है। यदि मकतब का संबंध किसी संदिग्ध व्यक्ति या संस्था से पाया जाता है, तो उस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। पिछले कुछ समय में आतंकवादी संगठनों के लिए युवाओं की भर्ती और कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के मामलों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है।
जांच प्रक्रिया और कार्यवाही-
एटीएस द्वारा इन मकतबों की जांच कई चरणों में पूरी की जाएगी। इसके लिए एटीएस, स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय में काम करेगी। अगर किसी मकतब में संदिग्ध गतिविधियां पाई जाती हैं या किसी प्रकार की अनियमितता मिलती है, तो एटीएस द्वारा कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
मकतबों की जांच क्यों हो रही है?
मदरसों और मकतबों के फंडिंग और उनकी गतिविधियों पर सरकार पिछले कुछ समय से नजर रख रही है। देश में लगातार बढ़ते कट्टरपंथ और उग्रवाद को देखते हुए यह जरूरी है कि धार्मिक शिक्षण संस्थानों का संचालन पारदर्शिता और वैधता के साथ हो। मकतब, जो छोटे धार्मिक शिक्षा केंद्र होते हैं, मुख्यतः मुस्लिम समुदाय के बच्चों को प्रारंभिक धार्मिक शिक्षा देते हैं। सरकार का मानना है कि ऐसे संस्थानों में किसी भी प्रकार की अतिवादी गतिविधियों के लिए जगह नहीं होनी चाहिए।
इस कदम के प्रति प्रतिक्रियाएँ-
मकतबों की जांच पर सरकार के इस कदम को लेकर समाज में विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे सुरक्षा के लिहाज से आवश्यक कदम मानते हैं, वहीं कुछ का मानना है कि इसका गलत असर भी हो सकता है।
कुल मिलाकर, एटीएस का यह कदम उत्तर प्रदेश के धार्मिक शिक्षा केंद्रों में पारदर्शिता और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए है, जिससे समाज में किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों का फैलाव न हो।