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मुख्य समाचार

मदरसों की कुंडली खंगालेगा एटीएस

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-योगी सरकार के राडार पर यूपी के मदरसें 

-सरकार का दावा कुछ मदरसों में कट्टरपंथी विचारधारा को दिया बढ़ावा -विदेश से मिलने वाले फंड की जानकारी जुटा रहा एटीएस

-आतंकवादी संगठनों से जुड़े नेटवर्क की भी होगी जांच

लखनऊ। योगी आदित्यनाथ सरकार के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में मदरसों को लेकर हाल ही में एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें राज्य के मदरसों की गतिविधियों की जांच अब एटीएस (एंटी-टेररिज्म स्क्वाड) द्वारा की जाएगी। यह मामला तब चर्चा में आया जब उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के कुछ मदरसों की कथित गतिविधियों की जांच के लिए एटीएस को निर्देशित किया। इसके तहत मदरसों की कुंडली खंगालने और उनके संचालन, फंडिंग, और अन्य गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस फैसले के बाद राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हंगामा मच गया है।

हंगामे की वजह-

यह मामला उस समय गरमा गया जब एटीएस द्वारा मदरसों की जांच करने का आदेश जारी किया गया। सरकार को कुछ मदरसों में संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिलने के बाद यह कदम उठाया गया है। इस जांच के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि कहीं इन मदरसों में कोई अवैध गतिविधि तो नहीं हो रही है या वहां कट्टरपंथी सोच को बढ़ावा देने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा। इसके साथ ही, यह भी जांच की जाएगी कि इन मदरसों को मिलने वाली फंडिंग पारदर्शी है या नहीं।

एटीएस की भूमिका-

एटीएस का मुख्य उद्देश्य राज्य में आतंकी गतिविधियों पर नजर रखना और उनकी रोकथाम करना है। एटीएस को मदरसों की कुंडली खंगालने का जिम्मा सौंपने का मतलब यह है कि राज्य सरकार कुछ मदरसों को सुरक्षा दृष्टिकोण से संदिग्ध मान रही है। एटीएस की जांच से इन मदरसों के नेटवर्क, उनके स्रोत, और विदेश से मिलने वाले फंड की जानकारी जुटाई जाएगी। एटीएस यह भी देखेगी कि कहीं इन मदरसों में आतंकवाद या कट्टरपंथ से जुड़े किसी संगठन से संबंध तो नहीं हैं।


विपक्ष की प्रतिक्रिया-

एटीएस द्वारा मदरसों की जांच को लेकर राज्य के कई मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने इस कदम की तीखी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने और उनके धार्मिक संस्थानों को बदनाम करने की साजिश है। कई मुस्लिम नेताओं ने आरोप लगाया कि योगी सरकार मदरसों के जरिए पूरे मुस्लिम समुदाय को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश कर रही है। विपक्षी पार्टियां भी इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताकर इसका विरोध कर रही हैं।

सरकार का पक्ष-

योगी सरकार का कहना है कि यह कदम राज्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। सरकार का दावा है कि कुछ मदरसों में कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा दिया जा रहा है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी मदरसों को संदिग्ध नहीं माना जा रहा है, बल्कि सिर्फ उन मदरसों की जांच हो रही है जिनके बारे में विशेष जानकारी या शिकायतें मिली हैं। 

मदरसों का सर्वेक्षण और एटीएस की जांच-

यह कदम राज्य में चल रहे मदरसों के सर्वेक्षण के बाद आया है, जिसमें योगी सरकार ने राज्य के सभी गैर-मान्यता प्राप्त और निजी मदरसों का सर्वे करने का आदेश दिया था। इस सर्वे के तहत, मदरसों की स्थिति, उनके पाठ्यक्रम, शिक्षकों की योग्यता, और छात्रों की संख्या के बारे में जानकारी जुटाई गई थी। इसके बाद सरकार ने यह पाया कि कुछ मदरसों की गतिविधियाँ संदिग्ध हो सकती हैं, और इसी आधार पर एटीएस को जांच का जिम्मा सौंपा गया है।

हंगामे का असर-

इस फैसले के बाद राज्य में हंगामा और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। कई मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला कदम बताया है और सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग की है। वहीं, सरकार का कहना है कि जांच का उद्देश्य केवल सुरक्षा सुनिश्चित करना है और निर्दोष मदरसों को इससे कोई नुकसान नहीं होगा।

भविष्य की दिशा-

यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एटीएस की जांच के नतीजे क्या होते हैं और इससे राज्य में मदरसों की भूमिका और उनके कामकाज में क्या बदलाव आते हैं।