प्रतापगढ़ , उत्तर प्रदेश : जबरन मतान्तरण अब मात्र एक मत का परिवर्तन नहीं, अपितु भारत की सांस्कृतिक अस्मिता और सामाजिक संतुलन का नुक्सान करने का अस्त्र बन चुका है। यह एक ऐसा घिनौना षड्यंत्र है, जिसमें मासूम बच्चियों को बहला-फुसलाकर, डराकर या प्रेमजाल में फँसाकर न मात्र उनका मतान्तरण किया जा रहा है, अपितु उनकी सोच, पहचान और भविष्य को कुचला जा रहा है। प्रतापगढ़ की घटना इस जहरीली षड्यंत्र का शर्मनाक उदाहरण है, जहाँ दो नाबालिग बहनों का अपहरण कर मतान्तरण का प्रयास किया गया। यह मात्र एक घटना नहीं है, अपितु उस सुनियोजित सोच का हिस्सा है, जो समूचे देश में 'लव जिहाद' और जबरन मतान्तरण को एक सामाजिक महामारी की तरह फैला रही है। 13 और 16 वर्ष की दो किशोरियाँ, 13 मई की शाम प्रतापगढ़ जिले के देल्हूपुर थाना क्षेत्र से अचानक लापता हो गईं। बताया जा रहा है कि, उन्हें गांव की एक लड़की सबरीन के साथ खेत जाने का बहाना देकर बुलाया गया। देर रात तक घर न लौटने पर जब परिजनों ने सबरीन से पूछताछ की, तो उसने गाली-गलौज और धमकी देना शुरू कर दिया। संदेह गहराने पर परिजन पुलिस के पास पहुंचे। पुलिस की गंभीर पूछताछ में सबरीन की माँ माजिदा बेगम ने चौंकाने वाला खुलासा किया। उसने बताया कि लड़कियों को बलपूर्वक बुर्का पहनाकर सबरीन का पति कलीम बड़कन्ने, उसका भाई मोनू साबिर और सैफ अली कहीं ले गए हैं। जांच में पता चला कि उन्हें मतान्तरण के लिए मजबूर किया जा रहा था और पुणे ले जाकर बेचने की तैयारी थी। 15 मई की शाम पुलिस ने प्रयागराज से दोनों बहनों को सकुशल बरामद कर लिया। उनके बयान सामने आने के बाद स्पष्ट हुआ कि मासूम बेटियों पर नमाज पढ़ने का दबाव डाला गया, अलग कमरे में बंद रखा गया और उन्हें जबरन इस्लामिक वेशभूषा पहनने को विवश किया गया । शनिवार को पुलिस ने चार आरोपियों मोनू उर्फ मो. साबिर, उसका भाई मो. सैफ, बहन सबरीन और माँ माजिदा बेगम को गिरफ्तार कर लिया। इनके विरुद्ध अपहरण, मतान्तरण, पाक्सो और अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
यह घटना महज आपराधिक कृत्य नहीं है, बल्कि सुनियोजित वैचारिक युद्ध का प्रतीक है। जब मतान्तरण के लिए हिन्दू बेटियों के अस्मत से खेलने का प्रयास किया जा रहा हो, तो यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि मानवता के नाम पर धब्बा भी है। ऐसे मामलों में कठोरतम दण्ड आवश्यक है, ताकि कोई भी षड्यंत्रकारी मानसिकता हमारे समाज की जड़ों को खोखला करने की हिम्मत न कर सके। प्रतापगढ़ की यह घटना एक आईना है, जिसमें हम देख सकते हैं कि किस प्रकार हमारे आसपास खतरे पनप रहे हैं। ‘लव जिहाद’ और जबरन मतान्तरण मात्र व्यक्तिगत नहीं, अपितु राष्ट्रीय चिंता का विषय बन चुका है। इससे निपटने के लिए मात्र पुलिस और कानून ही नहीं, अपितु पूरे समाज को सजग, संगठित और सक्रिय होना होगा। मासूम बेटियों की रक्षा केवल परिवार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का कर्तव्य है।