पुणे, 20 मई। विश्व निर्मिति का रहस्य एवं गुरुत्वाकर्षण के महत्वपूर्ण सिद्धांत को मानव के समक्ष रखने में अपना अग्रस्थान सिद्ध करने वाले जेष्ठ खगोल वैज्ञानिक साथ में विज्ञान प्रसारक व लेखक डॉ. जयंत नारळीकर जी का पुणे के निज निवास पर दुःखद निधन हुआ, वे 86 वर्ष के थे। उनके निधन से विज्ञान, साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र के एक ओजस्वी तारे का अंत हुआ है। इस दुःखद घटना के कारण विज्ञान जगत में शोक की लहर है।
डॉ. नारळीकर जी का जन्म 19 जुलाई, 1938 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर प्रान्त में हुआ था। उनके पिता प्रसिद्ध गणितज्ञ विष्णु वासुदेव नारळीकर वाराणसी स्थित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के गणित विभाग के प्रमुख थे। उनकी माता सुमति विष्णु नारळीकर संस्कृत की विदुषी थीं। जयंत नारळीकर जी ने अपनी विद्यालयीन शिक्षा वाराणसी में प्राप्त की। उसके पश्चात 1957 में विज्ञान शाखा में स्नातक की उपाधि प्रथम श्रेणी से प्राप्त की। तत्पश्चात उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु कैंब्रिज गए, वहाँ उन्होंने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 1966 में उनका विवाह गणितज्ञ मंगला सदाशिव राजवाडे के साथ हुआ। उनकी तीन बेटियाँ है, गीता, गिरिजा एवं लीलावती।

सन् 1972 में वे भारत लौट आए। यहाँ आने के पश्चात् उन्होंने मुंबई स्थित टाटा मूलभूत संशोधन संस्था (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) में खगोल विज्ञान विभाग में प्रमुख के पद का दायित्व ग्रहण किया। 1988 में पुणे स्थित अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी केंद्र (IUCAA) के संस्थापक निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने 2003 में अपनी सेवानिवृत्ति तक IUCAA के निदेशक का पद संभाला। उनके निर्देशन में, IUCAA ने खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी में शिक्षण और अनुसंधान में उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में दुनिया भर में ख्याति प्राप्त की।
विज्ञान के गूढ़तम रहस्यों को जनसामान्य के समक्ष रखने के उद्देश्य से उन्होंने विज्ञान साहित्य का निर्माण किया। विभिन्न मराठी दैनिक, पाक्षिक, मासिक पत्रिकाओं में उनके लेख नियमित रूप से प्रसिद्ध होते थे, यह कार्य करते हुए उन्होंने विज्ञान प्रसार की ज्योति प्रज्ज्वलित की। उनके लेखन का विश्व की विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है। उनके कार्य ने विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं का ध्यान आकर्षित किया। भारत सरकार की ओर से उन्हें पद्मभूषण और पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें, भावपूर्ण श्रद्धांजलि।