वाराणसी, उत्तर प्रदेश
नौकरी छोड़ी, पीसीओडी से लड़ी और वाराणसी की बेटी अदिति बनीं उद्यमिता की मिसाल
यकीन हो तो कोई भी राह निकलती है। हवा की ओट में भी चिराग जलता है। इसी विश्वास ने वाराणसी की अदिति सिंह को साधारण नौकरीपेशा से असाधारण उद्यमी बना दिया। बड़ी गैबी की रहने वाली अदिति ने आईआईटी पटना से एमबीए करने के बाद एक शिक्षण संस्थान में मार्केटिंग की नौकरी की, लेकिन मन नहीं लगा। तभी जिंदगी ने कठिन मोड़ लिया, पीसीओडी जैसी गंभीर समस्या ने उन्हें घेर लिया। एलोपैथिक दवाओं ने राहत नहीं दी, लेकिन अदिति ने हार मानने की बजाय चुनौती को अवसर बनाया। नेचुरोपैथी की राह चुनी और ठान लिया कि खुद को भी ठीक करना है और दूसरी महिलाओं के लिए भी संजीवनी का रास्ता बनाना है। इसी संकल्प से जन्म हुआ उनके स्टार्टअप 'श्री विधि वेलनेस क्लिनिक' का। यह क्लिनिक आज महिलाओं को डाइट प्लान, आयुर्वेदिक समाधान और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध करा रहा है। खास बात यह है कि यहाँ मिलने वाले उत्पाद पूरी तरह प्राकृतिक हैं, बिना किसी साइड इफेक्ट के। 'सीड क्लीनिक किट' जैसे उनके इनोवेटिव प्रोडक्ट महिलाओं में हार्मोनल संतुलन और मासिक धर्म चक्र को बेहतर बनाने में मदद कर रहे हैं। आज अदिति राजस्थान समेत कई राज्यों से जंगली बेरी, मोरिंग पाउडर, चुकंदर पाउडर जैसे 38 प्रमाणित प्राकृतिक उत्पाद मंगा रही हैं, जिनकी पैकेजिंग और उपयोग विधि उनके क्लिनिक में तय होती है।
उनका सपना है कि नेचुरोपैथी को बनारस ब्रांड के रूप में दुनिया तक पहुँचाया जाए और इसे एक उद्योग का रूप दिया जाए, जिससे और महिलाओं को सशक्त किया जा सके। अब तक 1000 से अधिक महिलाएँ उनके क्लिनिक से लाभान्वित हो चुकी हैं। वहीं, मार्केटिंग और प्रबंधन के जरिए दो दर्जन से अधिक महिलाओं व पुरुषों को रोजगार भी मिला है। अदिति मानती हैं कोई काम छोटा नहीं होता, बीमारियों से लड़ाई भी रोजगार और सेवा का माध्यम बन सकती है और आत्मविश्वास सबसे बड़ी दवा है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से बीबीए और आईआईटी पटना से एमबीए कर चुकीं अदिति आज वाराणसी ही नहीं, पूरे प्रदेश की उन बेटियों के लिए प्रेरणा हैं जो सपनों को हकीकत बनाने का साहस रखती हैं।