ऐपण कला ने बदला अर्चना भंडारी का जीवन, सांस्कृतिक विरासत बनाया आत्मनिर्भर
उत्तराखण्ड : यह कहानी है उत्तराखण्ड के
बागेश्वर जिले की...जहाँ कला केवल विरासत नहीं बल्कि अब रोजगार का भी साधन बन गई
है.
इस विडियो में हम आज आपको
मिलायेंगे अर्चना भंडारी से ...एक आम महिला जिसने ऐपण कला को अपना रोजगार का साधन
बनाया और आज वो बन आत्मनिर्भर और लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं।
अर्चना बताती हैं यह कार्य
घर की देहरी पर शुरू हुआ, धीरे-धीरे उनके डिज़ाइनों की चर्चा पड़ोस में फैलने
लगी और लोगों ने उनकी कला की सराहना की. जब आस-पड़ोस के लोग अर्चना के काम को
देखकर उन्हें अपने घरों में ऐपण डिज़ाइन बनाने का आमंत्रण देने लगे, तो
उन्हें इस कला में एक करियर की संभावना दिखाई दी.
अर्चना न केवल स्वयं
आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि इस लोककला को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में भी जुटी
हुई हैं।
कहते हैं न तो गांव की
मिट्टी सोना उगलती है। यह उदाहरण अर्चना ने सिद्ध कर दिखया है की कैसे वह अपनी कला
के माध्यम से हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखते हुए आत्मनिभर बन रही हैं साथ
ही दूसरी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं।
शुरुआत में छोटे स्तर पर काम
किया, लेकिन जब काम के बदले उन्हें पैसे मिलने लगे, तो
उन्होंने इसे और उत्तम ढंग से बढे स्तर पर प्रारम्भ करदिया ...अब उनकी ऐपण कला एक
पहचान बन चुकी है। सोशल मीडिया पर उनके डिज़ाइनों की देशभर में मांग है। अर्चना की
इस यात्रा में उनका परिवार सदैव उनके साथ रहा।