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ऐपण आर्ट की साड़ी और कुर्ते ने कुंजिका को बनाया आत्मनिर्भर

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उत्तराखण्ड

अल्मोड़ा के पोस्ट ऑफिस के पास कुंज वर्क आर्ट में इन्हें तैयार किया जा रहा है. साड़ी और कुर्ते का प्राइस 11 हजार रुपये है. शादियों में इसकी डिमांड सबसे ज्यादा रहती है.

 

उत्तराखण्ड की पारंपरिक लोक कला ऐपण कई युगो से संस्कृति और आस्था का प्रतीक रही है। नए फैशन के ट्रेंड आने के बाद भी इस कला ने सदैव अपनी विशेषता बनाए रखी। लेकिन आज के दौर में  उत्तराखंड की इस लोक कला ऐपण को और विस्तार मिलने लगा। उत्तराखंड के कई युवा इस कल को लेकर अलग-अलग प्रकार से कार्य कर रहें हैंइस कड़ी में अल्मोड़ा के पास कुंज वर्क आर्ट में साड़ी और कुर्ते को ऐपण कला से तैयार किया जा रहा है।  इसे चलाने वाली कुंजिका वर्मा बताती हैं कि वो ऐपण पर बहुत लंबे समय से कार्य कर रही हैं। शादी-विवाह में इसकी मांग सबसे अधिक देखने को मिलती है। उन्होंने बताया की ऐपण बनाते समय वो बहुत ध्यान देती हैं कि उसमें केवल ऐपण कला दिखाई जा सकेबाकी कुछ और नहीं.

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वही ऐपण की बात करें तो ये कला पहाड़ी परंपरा को दर्शाती है । जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा बनाई जाती हैये कला विशेष रूप से विवाहत्यौहारों और धार्मिक अनुष्ठानों के समय प्रयोग की जाती है। वही कुंजिका ने बताया की ऐपण की साड़ी और कुर्ते की डिमांड गांव के साथ-साथ हल्द्वानीदेहरादून और नोएडा जैसे शहरों से अधिक आती है।अपनी विरासत को कल को साथ लेने का कुंजिका द्वारा किया यह प्रयास हम सबके लिए उदाहरण है की हम अपनी सांकृतिक जड़ों से जुड़कर भी आज के फैशन के साथ आगे बढ़ सकते हैं।