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देवभूमि पर फर्जी दस्तक: पहचान नकली, मंसूबे खतरनाक

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  • मुसलामानों ने फर्जी दस्तावेजों पर उठाया उत्तराखंड का राशन
  • देवभूमि में दस्तक: वोट बैंक की सियासत ने खड़े किए घुसपैठ के साए
  • उत्तराखंड की जड़ें हिला रहे हैं बाहरी घुसपैठिए 
  • दो-दो जिलों से राशन उठा रहे, स्थानीय बनकर योजनाओं का लूट मचा रहे!

हल्द्वानी : उत्तराखण्ड में अब घुसपैठ की आहट सुनाई दे रही है। कुमाऊं क्षेत्र में मुस्लमान समुदाय के लोग वर्षों से अवैध रूप से रहकर न सिर्फ स्थानीय संसाधनों पर कब्जा जमाए हुए हैं, बल्कि गरीब उत्तराखण्ड निवासियों  के हिस्से का राशन तक डकार रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेश भर में चल रहे सत्यापन अभियान के तहत बड़ा खुलासा हुआ है। 300 से अधिक मुस्लमान ऐसे हैं जो उत्तर प्रदेश के रामपुर और मुरादाबाद जिले के रहने वाले हैं लेकिन उत्तराखंड में आधार और राशन कार्ड बनवाकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। यह केवल कागजों का खेल नहीं है, यह एक सुनियोजित घुसपैठ है, जो उत्तराखंड जैसे शांत और सांस्कृतिक राज्य की आत्मा को धीरे-धीरे ग्रस रही है। हाल ही में चले सत्यापन अभियान ने परत-दर-परत पोल खोली की कैसे बाहर से आए मुस्लमान फर्जी दस्तावेजों से "स्थानीय" बनकर रह रहे हैं और उन योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, जो यहां के गरीबों के लिए बनी थीं।

बड़े खुलासे:

तीन सौ से अधिक मुस्लमान, जो मूलतः सीमावर्ती जिलों के हैं, देवभूमि में खुद को स्थानीय दिखाकर फर्जी आधार कार्ड और राशन कार्ड पर सरकारी योजनाओं की मलाई खा रहे हैं।

एक मुस्लमान व्यक्ति - दो अलग जिलों में पहचान, दो जगहों से राशन, दो आधार कार्ड।

स्थानीय प्रतिनिधियों ने वोट बैंक बढ़ाने की लालसा में प्रमाण-पत्र दे दिए और ऐसे घुसपैठिए हमारी व्यवस्थाओं में जगह बना गए।

जनता में उबाल, सरकार सख्त

ताजा घटनाओं ने जनाक्रोश को नई चिंगारी दे दी है। नैनीताल में 72 वर्षीय मुस्लमान व्यक्ति द्वारा 12 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और खटीमा में सिर काट कर हत्या जैसे जघन्य अपराधों ने माहौल गरमा दिया। इसके बाद सरकार ने पुलिस को सख्त निर्देश दिए कि अवैध रूप से रह रहे लोगों की कुंडली खंगाली जाए। पुलिस ने मात्र चार दिनों में 6 जिलों में 1,000 से ज्यादा लोगों का सत्यापन किया, जिसमें 300 से अधिक लोग बाहरी निकले।

फर्जीवाड़े की फुल चार्टशीट

जांच में सामने आया कि इन मुसलामानों ने स्थानीय पार्षदों की मिलीभगत से खुद को ‘स्थानीय निवासी’ घोषित कराया। पार्षदों ने अपने लेटरपैड पर प्रमाण पत्र दिए कि व्यक्ति क्षेत्र का मूल निवासी है। इसी आधार पर इनका आधार कार्ड और राशन कार्ड बन गया। कई मुसलामानों के पास दो-दो जिलों के आधार कार्ड भी मिले हैं, जिससे वे दो राज्यों से राशन उठा रहे हैं। वोट बैंक की राजनीति में इन्हें गुपचुप तरीके से सरकारी योजनाओं का हिस्सा बना दिया गया।

सिर्फ राशन नहीं, योजनाओं की बंदरबांट

सत्यापन के दौरान यह भी सामने आया कि ये लोग अटल आवास योजना, उज्ज्वला योजना, पेंशन योजनाओं सहित कई कल्याणकारी स्कीमों का लाभ ले रहे हैं। एक तरफ जहां पहाड़ का गरीब सरकारी योजनाओं के इंतजार में है, वहीं बाहर से आए मुसलमान पहले से लाभ की पंक्ति में खड़े हैं।

डीजीपी की दो टूक

राज्य के डीजीपी दीपक सेठ ने स्पष्ट कहा है कि जिनके पास फर्जी दस्तावेज हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। हम सिर्फ अपराध रिकॉर्ड नहीं देख रहे, ये भी जांच रहे हैं कि किन योजनाओं का लाभ लिया गया। फर्जी आधार कार्ड, दो जिलों में पहचान और राशन वितरण में गड़बड़ी,यह सब गंभीर अपराध है। अब सवाल ये उठता है की मुसलामानों द्वारा हिन्दुओं के हक का राशन लेना क्या एक सुनियोजित षड़यंत्र है ?