मुरैना. मुरैना में आयोजित तीन दिवसीय प्रांत (मध्यभारत प्रांत) कार्यकर्ता सम्मेलन में विभिन्न समाज प्रमुखों के साथ सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी की भेंट हुई. इस अवसर पर सरसंघचालक जी ने कहा कि 22 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में लघु भारत अयोध्या में दिख रहा था और सम्पूर्ण भारत में अयोध्या की अनुभूति हो रही थी. यह अनुभूति स्थाई रहनी चाहिए. एक समय में भारत में जाति एक व्यवस्था थी, जो जन्म के आधार पर नहीं, अपितु कार्य–व्यापार के आधार पर थी. जैसे आज भी हम देखते हैं कि डॉक्टर का पुत्र डॉक्टर, अधिवक्ता का पुत्र अधिवक्ता बनना पसंद करता है. जाति व्यवस्था ने मुगलों के आक्रमण के दौरान अपने हिन्दू समाज के लोगों का संरक्षण किया. परंतु कालांतर में यह जाति व्यवस्था एक कुरीति में बदल गई. पूज्य संतों ने भी अनेक अवसरों पर हमें यह बात समझाने का प्रयत्न किया है. आज आवश्यकता है कि हम सब मिलकर छुआछूत को समाप्त करें.
सरसंघचालक जी ने कहा कि जैसे शरीर में प्रत्येक अंग की आवश्यकता है. प्रत्येक अंग को सुरक्षित और स्वस्थ रखेंगे, तब ही शरीर स्वस्थ रहेगा. इसलिए हम सब मिलकर हिन्दू समाज की चिंता करें. संघ में भले ही सामाजिक सद्भाव कार्य की शुरुआत 2007 से हुई है, लेकिन संघ में जात–पात का भेद प्रारंभ से नहीं है. सामाजिक समरसता के लिए संघ प्रारंभ से कार्य कर रहा है.
उपस्थित सभी समाज प्रमुखों से उन्होंने आग्रह किया कि हम सबको मिलकर अपने हिन्दू समाज को अच्छा और सुंदर बनाना है. सभी जाति बिरादरी माह में एक बार बैठने की योजना करें और विचार करें कि हम सद्भाव के इस कार्य को खंड, मंडल और बस्ती तक कैसे लेकर जाएं. इस अवसर पर वाल्मीकि समाज के भगवानदास वाल्मीकि, माहौर समाज के नत्थीलाल माहौर, प्रजापति समाज के आशाराम प्रजापति, नागर समाज के राजेंद्र नागर, श्रीवास समाज के मातादीन श्रीवास, राठौर समाज के श्यामलाल राठौर, ब्राह्मण समाज के सुरेश शास्त्री, मांझी समाज के प्रमोद मांझी, वैश्य समाज के डॉ. अनिल गुप्ता, जैन समाज के मनोज जैन, स्वर्णकार समाज के मदनलाल वर्मा, सिंधी समाज के प्रताप राय और कायस्थ समाज के दिनेश भटनागर उपस्थित रहे.