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बांग्लादेश: दुर्गा मंदिर और शीतला मंदिर पर हमला, कट्टरपंथियों ने मूर्तियों को जलाया, सरकार ने धार्मिक हिंसा से किया इनकार

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- हालिया घटना में काशियानी उपजिला के तराइल नॉर्थपारा गाँव में दुर्गा मंदिर और शीतला मंदिर को कट्टरपंथियों द्वारा आग के हवाले कर दिया गया

- दुर्गा मंदिर की पूजा सामग्री जल गई, जबकि शीतला देवी की मूर्ति को पुआल डालकर खंडित कर दिया गया

बांग्लादेश। बांग्लादेश के ग़ोपालगंज जिले में हिंदू अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों पर हमले थमने का नाम नहीं ले रहे। हालिया घटना में काशियानी उपजिला के तराइल नॉर्थपारा गाँव में दुर्गा मंदिर और शीतला मंदिर को कट्टरपंथियों द्वारा आग के हवाले कर दिया गया। गुरुवार (21 जनवरी 2025) की सुबह हुए इस हमले में दोनों मंदिरों को भारी नुकसान हुआ। दुर्गा मंदिर की पूजा सामग्री जल गई, जबकि शीतला देवी की मूर्ति को पुआल डालकर खंडित कर दिया गया।  

हमले के बाद गाँव में दहशत का माहौल -

तराइल गाँव के निवासी प्रमोथ विश्वास ने बताया कि जब वे सुबह पूजा करने पहुँचे, तो दुर्गा मंदिर का बाँस का दरवाजा खुला हुआ था। अंदर सबकुछ जलकर खाक हो चुका था। पास के शीतला मंदिर में देवी की मूर्ति को जलाने के लिए पुआल का इस्तेमाल किया गया था। प्रमोथ ने कहा, “यह केवल मंदिर नहीं, हमारी आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। इसे जलता देखना दिल तोड़ देने वाला है।”  

पुलिस ने मौके पर पहुँचकर घटना की पुष्टि की। काशियानी पुलिस थाने के प्रभारी मोहम्मद शफीउद्दीन खान ने बताया कि कानूनी कार्रवाई की जा रही है, लेकिन अब तक न तो किसी ने औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है और न ही दोषियों की पहचान हो सकी है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जाँच गंभीरता से की जाएगी।  

बांग्लादेश सरकार का इनकार, ‘धार्मिक नहीं, राजनीतिक घटना’ का दावा -

इस घटना के बाद बांग्लादेश सरकार ने इसे धार्मिक हिंसा मानने से इनकार कर दिया। गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहाँगीर आलम चौधरी ने कहा, “हम बांग्लादेश में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करते। यहाँ सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं। जो कुछ भी हो रहा है, वह धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक कारणों से हो रहा है।”  

उन्होंने भारतीय मीडिया पर आरोप लगाया कि वह बांग्लादेश की छवि खराब करने के लिए झूठी खबरें फैला रहा है।  

हिंदू मंदिरों पर हमले: बढ़ती घटनाएँ और बढ़ता डर -

बांग्लादेश में खासकर शेख हसीना सरकार के सत्ता से हटने के बाद हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गए हैं। ग़ोपालगंज की यह घटना इस बढ़ती असहिष्णुता का ताजा उदाहरण है। हालांकि, सरकार इन हमलों को स्वीकार करने और रोकने में विफल साबित हो रही है।  

अंतरराष्ट्रीय मंच पर छवि बचाने की कोशिश -

घटना के कुछ दिन बाद अमेरिकी चार्ज डी’अफेयर्स ट्रेसी ऐनी जैकब्सन के साथ बैठक में बांग्लादेश सरकार ने अल्पसंख्यकों पर हिंसा के आरोपों को खारिज कर दिया। इस दौरान उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों के पुनर्वास पर भी चर्चा की और अमेरिका से अधिक शरणार्थियों को बसाने की अपील की।  

जमीनी हकीकत: दावों और वास्तविकता का फर्क -

बांग्लादेश में मंदिरों पर हमले और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की घटनाएँ यह साबित करती हैं कि सरकार इन मुद्दों को सुलझाने में असफल रही है। जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि बचाने के लिए सरकार भारतीय मीडिया पर आरोप लगा रही है, ज़मीनी सच्चाई इससे अलग है।  

घटनाओं की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए स्थितियाँ दिन-प्रतिदिन कठिन होती जा रही हैं। मंदिरों पर ऐसे हमले न केवल धार्मिक आस्था पर चोट करते हैं, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करते हैं कि क्या बांग्लादेश सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर पा रही है।