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गांव की पगडंडियों से अंतरराष्ट्रीय ट्रैक तक: वाराणसी की बेटी रोशनी यादव की सफलता की कहानी

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- गांव की पगडंडियों पर दौड़कर स्कूल जाने वाली रोशनी अब अंतरराष्ट्रीय ट्रैक पर फर्राटा भर रही हैं

- रोशनी ने छठी कक्षा से एथलेटिक्स में हिस्सा लेना शुरू किया, लेकिन उनका पहला स्वर्ण पदक आठवीं कक्षा में जिलास्तरीय प्रतियोगिता में आया।

वाराणसी। वाराणसी जिले के चोलापुर की बेटी रोशनी यादव ने अपनी मेहनत और लगन से न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स में भी अपनी पहचान बनाई है। गांव की पगडंडियों पर दौड़कर स्कूल जाने वाली रोशनी अब अंतरराष्ट्रीय ट्रैक पर फर्राटा भर रही हैं। उन्होंने तीन साल में सात राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पांच स्वर्ण पदक जीते हैं।  

छठवीं से शुरू की एथलेटिक्स यात्रा -

रोशनी ने छठी कक्षा से एथलेटिक्स में हिस्सा लेना शुरू किया, लेकिन उनका पहला स्वर्ण पदक आठवीं कक्षा में जिलास्तरीय प्रतियोगिता में आया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और स्टेट व नेशनल प्रतियोगिताओं में अब तक 15 से अधिक पदक अपने नाम कर चुकी हैं।  

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व -

2022 में रोशनी ने कुवैत में आयोजित एशियन अंडर-18 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा, उन्होंने अखिल भारतीय विश्वविद्यालयीय खेल प्रतियोगिता के 400 मीटर दौड़ में दो स्वर्ण पदक जीते हैं। खेलो इंडिया प्रतियोगिता में भी रोशनी ने पदक हासिल किया।  

गांव से साई सेंटर तक का सफर -

चिरईगांव के महादेव पीजी कॉलेज में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा रोशनी फिलहाल बेंगलुरु स्थित साई (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) सेंटर में राष्ट्रीय प्रतियोगिता की तैयारी कर रही हैं। वह अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतना चाहती हैं।  

पिता की मेहनत और परिवार का सहयोग -

रोशनी के पिता प्रमोद यादव पहले मुंबई में ऑटो रिक्शा चलाते थे। बेटी के साई सेंटर में चयन के बाद वह गांव लौट आए और अब चोलापुर के मुरली मार्केट में खली-चुनी की दुकान चलाते हैं। रोशनी अपने तीन बहनों और एक भाई में सबसे छोटी हैं।  

खेल सचिव की प्रशंसा -

महादेव पीजी कॉलेज के खेल सचिव भीमशंकर मिश्र ने रोशनी की उपलब्धियों को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि उनकी सफलता न केवल परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।  

रोशनी की प्रेरणा और लक्ष्य -

रोशनी ने अपनी यात्रा के हर पड़ाव पर कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास से सफलता हासिल की है। अब उनका लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्वर्ण पदक जीतकर भारत और अपने माता-पिता का नाम रोशन करना है।  

रोशनी की कहानी न केवल युवाओं को प्रेरित करती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि अगर हौसले बुलंद हों और मेहनत का साथ हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं है।