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विश्व में भारत की प्रतिष्ठा देश के सबल होने से है – डॉ. मोहन भागवत

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गांव, बस्ती, परिवार तक अच्छे आचरण का संदेश लेकर जाना है – डॉ. मोहन भागवत जी

पंच परिवर्तन से हर घर और हर बस्ती में परिवर्तन दिखाई दे – डॉ. मोहन भागवत जी

बारां, 05 अक्तूबर 2024.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बाराँ नगर के स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण शनिवार सायं कृषि उपज मण्डी में संपन्न हुआ. सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया.

सरसंघचालक जी ने कहा कि स्वयंसेवक का बस्ती में सर्वत्र संपर्क हो. समाज को संबल देकर बस्ती के अभावों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए. समाज में सामाजिक समरसता, सामाजिक न्याय, सामाजिक आरोग्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन के लिए आग्रह रहना चाहिए. स्वयंसेवक गतिविधि कार्य में भी सक्रिय रहे. समाज की छोटी इकाई परिवार में समरसता-सद्भावना, पर्यावरण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्वदेशी एवं नागरिक बोध को सहज बना सकते हैं. जीवन में छोटी-छोटी बातों को आचरण में लाने से समाज एवं राष्ट्र की उन्नति में बड़ा योगदान दिया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज को अपनी सुरक्षा के लिए भाषा, जाति, प्रांत के भेद व विवाद मिटाकर संगठित होना होगा. समाज ऐसा हो जहां संगठन, सद्भावना एवं आत्मीयता का व्यवहार हो. समाज में आचरण का अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य एवं ध्येय निष्ठ होने का गुण आवश्यक है. मैं व मेरा परिवार मात्र से समाज नहीं बनता, बल्कि हमें समाज की सर्वांगीण चिंता से अपने जीवन में भगवान को प्राप्त करना है.

उन्होंने कहा कि संघ कार्य यंत्रवत नहीं, बल्कि विचार आधारित है. संघ कार्य की तुलना में योग्य कार्य विश्व में नहीं है. उपमा के तौर पर सागर सागर जैसा है, गगन गगन जैसा है, वैसा ही संघ भी संघ जैसा ही है. संघ की किसी से तुलना नहीं हो सकती. संघ से संस्कार गटनायक में जाते हैं, गटनायक से स्वयंसेवक और स्वयंसेवक से परिवार तक जाते हैं. परिवार से मिलकर समाज बनता है. संघ में व्यक्ति निर्माण की यही पद्धति है.

सरसंघचालक जी ने कहा कि विश्व में भारत की प्रतिष्ठा अपने देश के सबल होने से है. सबल राष्ट्र के प्रवासियों की सुरक्षा भी तब ही जब उनका राष्ट्र सबल है. वरना निर्बल राष्ट्र के प्रवासियों को देश छोड़ने के आदेश दे दिये जाते हैं. भारत का बड़ा होना प्रत्येक नागरिक के लिए भी उतना ही आवश्यक है.

भारत हिन्दू राष्ट्र है. प्राचीन समय से हम यहां रहते आये है, भले हिन्दू नाम बाद में आया. यहां रहने वाले भारत के सभी पंथों के लिए हिन्दू प्रयोग हुआ. हिन्दू जो सबको अपना मानते हैं और सबको स्वीकार करते हैं. हिन्दू कहता है – हम भी सही और तुम भी अपनी जगह सही. आपस में निरंतर संवाद करते हुए सद्भाव से रहे.

मंच पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी के साथ, राजस्थान क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल, चित्तौड़ प्रांत संघचालक जगदीश सिंह राणा, बाराँ विभाग संघचालक रमेश चंद मेहता और बारां जिला संघचालक वैद्य राधेश्याम गर्ग उपस्थित रहे.

स्वयंसेवक एकत्रीकरण में अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरूण जैन, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश चन्द्र, वरिष्ठ प्रचारक राजेन्द्र, क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम, क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री, क्षेत्र सेवा प्रमुख शिव लहरी सहभागी रहे. नगर एकत्रीकरण में 3827 स्वयंसेवक उपस्थित रहे.