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भय्याजी जोशी ने कहा धर्म का मतलब पूजा-पाठ नहीं होता, कर्तव्य के प्रति हमारी कटिबद्धता का अर्थ ही धर्म है

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनकल्याण समिति के “अहर्निशं सेवामहे” हिंदी आवृत्ति ग्रंथ का विमोचन ०२ मई, २०२३ को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक, दादर में हुआ. कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश जी बैंस रहे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भय्याजी जोशी मुख्य वक्ता तथा आनंद जी राठी (संस्थापक, अध्यक्ष, ARG – आनंद राठी फायनान्शियल सर्विसेस लि.) विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. ग्रंथ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनकल्याण समिति के ५० वर्षों के सेवा कार्यों को संजोया गया है.

भय्याजी जोशी ने कहा कि खुद के पैसे से बनने वाले घर को हम धर्मशाला नहीं कहते, अपितु दान से बनने वाली वास्तु धर्मशाला कहलाती है. केवल सेवा करने के विचार से सेवा नहीं होती. समाज के विभिन्न अंगों के प्रति संवेदना से सेवाभाव जगता है. धर्म का मतलब पूजा-पाठ नहीं होता. कर्तव्य के प्रति हमारी कटिबद्धता का अर्थ ही धर्म है.

राज्यपाल रमेश बैंस जी ने कहा कि धनवान कंपनियां अपने मुनाफे से बहुत ही कम पैसे दान स्वरूप देती हैं, यही कारण है कि सरकार को Corporate Social Responsibility को लागू करना पड़ा. CSR जब ISR (INDIVIDUAL SOCIAL RESPONSIBILITY) में बदल जाएगी, तब समाज के ज्यादा से ज्यादा अभावग्रस्तों को सुविधा उपलब्ध होगी और परिवर्तन आएगा.

आनंद जी राठी ने कहा कि संघ के संपर्क में जो आता है, वह संस्कारित नागरिक बन जाता है.