• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

मजहब की आड़ में छुपे दरिंदे

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

कानपुर, उत्तर प्रदेश

हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने — कभी बलात्कार, कभी अपहरण, कभी वीडियो वायरल, कभी मतान्तरण का षड़यंत्र। इन घटनाओं के पीछे नाम बदलता है, शहर बदलता है।  लेकिन एक बात है जो नहीं बदलती — वो है मजहब और उनकी सोच, वो विकृति, जो मजहब की ओट में हिन्दू बेटियों को बर्बाद कर रही है। कानपुर में 16 साल की नाबालिग को झूठा तासिब ने नाम बताकर फुसलाया गया, प्यार का ढोंग रचा गया, और गुजरात ले जाने की कोशिश की गई — ताकि शादी के नाम पर मतान्तरण और दुष्कर्म का खेल खेला जा सके। बजरंग दल के सक्रिय सदस्यों की तत्परता के कारण एक हिन्दू बेटी लव जिहाद की शिकार होने से बच गयी... सोचिए क्या ये मात्र एक संयोग है या एक योजनाबद्ध षड़यंत्र? ऐसी घटनाओं में हर बार लड़की हिंदू और लड़का एक ही मजहब से क्यों होता है? क्यों झूठी पहचान, नकली प्यार और मतान्तरण की बातें एक खास मानसिकता से जुड़ी मिलती हैं? क्या ये केवल व्यक्तिगत अपराध हैं — या "लव-जिहाद" जैसी योजनाबद्ध सामाजिक घुसपैठ का हिस्सा? अब बहुत हो चुका,  ये लोग प्यार के नाम पर जाल बिछाते हैं, फिर जब मासूम फँसती है, तो उसका शोषण, अपमान, और परिवार से अलगाव करते हैं। यह अपराधी मजहब की चादर ओढ़ कर समाज को धोखा देते हैं और कानून से बचने की चालें चलते हैं।  अब आवश्यकता है हर  हिन्दू लड़की को जागरूक किया जाए कि नकली प्रेम के पीछे कौन-सी घातक मंशा छिपी हो सकती है। ये “मजहब” नहीं – ये अपराध है। जो मजहब का नाम लेकर नाबालिग को फंसाता है, जो प्यार के नाम पर झूठ बोलता है, जो  हिन्दू बेटियों को अपनी हवस और मानसिक गुलामी का शिकार बनाता है — वो दरिंदा है, वो राक्षस है, वो समाज का कलंक है। अब चुप रहना भी पाप है। अब हर हिन्दू  बहन-  बेटियों की सुरक्षा के लिए आवाज  उठानी ही होगी। और जो इस आवाज  को दबाना चाहे, वो खुद दोषी है।