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छठ पूजा : आज व्रती देंगी डूबते सूर्य को अर्घ्य

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- एकता, प्रकृति प्रेम, और सादगी का प्रतीक छठ पूजा 

- शहरों और गाँवों में गंगा घाटों और अन्य जलाशयों पर विशेष इंतजाम

- मेडिकल कैंप, साफ-सफाई और लाइटिंग की भी व्यवस्था

उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश और अन्य उत्तरी राज्यों में छठ पूजा का आयोजन पूरे भक्तिभाव और धार्मिक नियमों के अनुसार किया जा रहा है। इस वर्ष मुख्य पूजा गुरुवार को है, जब श्रद्धालु उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे। चार दिवसीय इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसमें व्रती स्नान कर शुद्ध भोजन करते हैं। इसके बाद खरना के दिन पूरे दिन का व्रत रखने के बाद रात को भगवान को प्रसाद अर्पित कर उपवास खोला जाता है। संध्या अर्घ्य के दिन, व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं, और अंत में उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा समाप्त की जाती है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़े शहरों और गाँवों में गंगा घाटों और अन्य जलाशयों पर विशेष इंतजाम किए हैं ताकि श्रद्धालुओं को पूजा में कोई कठिनाई न हो। सुरक्षा और स्वच्छता के उपायों पर भी खास ध्यान दिया गया है। लखनऊ, वाराणसी, और अन्य जिलों में घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ मेडिकल कैंप, साफ-सफाई और लाइटिंग की भी व्यवस्था की गई है। 

दिल्ली सरकार ने भी 7 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है ताकि लोग इस पर्व को अच्छे से मना सकें। दिल्ली में छठ पूजा के लिए लगभग 1000 घाट बनाए गए हैं ताकि श्रद्धालु आसानी से पूजा कर सकें। पूर्वांचल के लोगों के लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है और दिल्ली एनसीआर में यह पहली बार हुआ है कि इतनी व्यापक रूप से छठ पूजा की व्यवस्था की गई है। 

यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें श्रद्धालु कठिन व्रत, उपवास, और सूर्य देवता को अर्घ्य देकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

छठ पूजा भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मैया को समर्पित होता है और इसे प्राकृतिक शक्तियों की उपासना का प्रतीक माना जाता है। इस त्योहार की खासियत और इसे विशिष्ट बनाने वाले कई पहलू हैं।


छठ पूजा पर खास -

सूर्य उपासना-

छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह सूर्य देवता के प्रति आभार और सम्मान का प्रतीक है, जिन्हें जीवन, ऊर्जा और समृद्धि का स्रोत माना जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने की यह परंपरा छठ पूजा को विशेष बनाती है।

पर्यावरण के प्रति सम्मान-

छठ पूजा की सभी विधियाँ पूरी तरह से प्राकृतिक हैं। इसमें प्लास्टिक या कृत्रिम सामग्रियों का उपयोग नहीं होता। व्रती नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं, जो जल और प्रकृति की शुद्धता के प्रति सम्मान का प्रतीक है।

कठिन व्रत-

 छठ पूजा का व्रत कठिन होता है, जिसमें व्रती लगातार चार दिनों तक कई नियमों का पालन करते हैं। नहाय-खाय से शुरू होकर खरना, संध्या अर्घ्य और सुबह का अर्घ्य तक, यह व्रत पूर्ण श्रद्धा, त्याग और आत्मसंयम की मांग करता है।

समूहिकता और समानता-

 छठ पूजा में सभी लोग बिना किसी भेदभाव के घाटों पर एकत्र होकर पूजा करते हैं। यह त्योहार लोगों के बीच एकता, समर्पण और सामाजिक समानता का प्रतीक है। 

धार्मिक मान्यताएँ-

 छठ पूजा से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएँ हैं। माना जाता है कि इस पर्व में किए गए व्रत और पूजन से संतान सुख, स्वास्थ्य, और परिवार की खुशहाली प्राप्त होती है। 

प्रसाद-

 छठ पूजा का प्रसाद (जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू, नारियल, और गन्ना) भी अपने आप में खास है। यह प्रसाद घरों में महिलाओं द्वारा खुद तैयार किया जाता है और इसे सूर्य देवता को अर्पित करने के बाद परिवार और समुदाय में बाँटा जाता है। छठ पूजा की ये विशेषताएँ इसे न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान बनाती हैं, बल्कि जीवन के प्रति एकता, प्रकृति प्रेम, और सादगी का प्रतीक भी बनाती हैं।