सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लिया. दीक्षांत समारोह में उन्होंने कानून की पढ़ाई क्षेत्रीय भाषाओं में करवाने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि अगर हम कानून के सिद्धांतों को सरल भाषा में आम जनता को नहीं समझा पा रहे हैं तो इसमें कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा की कमी नजर आ रही है. देश के शिक्षाविदों से विचार विमर्श करता हूं कि कैसे कानून की पढ़ाई को सरल भाषा में पढ़ाया जा सके.
उन्होंने कहा कि कानून को पढ़ाने की प्रक्रिया में क्षेत्रीय भाषाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए. विश्वविद्यालय को हिन्दी में एलएलबी कोर्स प्रारंभ करना चाहिए. हमारे विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय मुद्दों से जुड़े कानूनों को भी पढ़ाया जाना चाहिए. मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति आपके विश्वविद्यालय के पड़ोस के गांव से विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय के विधिक सहायता केंद्र में आता है और अपनी जमीन से जुड़ी समस्या को बताता है, लेकिन यदि छात्र को खसरा और खतौनी का मतलब ही नहीं पता है तो छात्र उस व्यक्ति की कैसे सहायता कर पाएगा. इसलिए जमीन संबंधित क्षेत्रीय कानूनों के बारे में भी छात्र को अवगत कराना चाहिए.
भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में ऐसे कई निर्देश दिए हैं, जिससे न्याय की प्रक्रिया को आम लोगों के लिए आसान बनाया जा सके. उदाहरण के तौर पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अंग्रेजी में दिए गए निर्णयों का भारत के संविधान में प्रचलित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है, जिससे आम जनता भी समझ सके कि निर्णय में आखिर लिखा क्या गया है. आज 1950 से लेकर 2024 तक सर्वोच्च न्यायालय के 37000 निर्णय हैं, जिनका हिंदी में अनुवाद हो गया है और यह सेवा सब नागरिकों के लिए निःशुल्क है.
दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायायल के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमरपाल सिंह, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति, एवं विश्वविद्यालय के प्राध्यापक उपस्थित रहे.