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अंत्योदय से भारत निर्माण

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अंत्योदय से भारत निर्माण 

भारत विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। जिसकी आत्मा सदैव ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ के आदर्श में बसी हुई है।आज के भारत में विकास की चर्चा जब भी होती है, तो प्रायः विदेशी मॉडल, पूंजीवादी अर्थव्यवस्था या फिर समाजवाद के पश्चिमी रूपों का उल्लेख किया जाता है। लेकिन भारत की आत्मा और उसकी जीवन दृष्टि इससे कहीं आगे और गहरी है। यहां समाज का मूल आधार है, सबका उत्थान सब की भागीदारी। इसी भाव को 20वीं शताब्दी के प्रखर राष्ट्रवादी, राष्ट्र नायक, चिंतक, जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अंत्योदय के रूप में प्रस्तुत किया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारत में लोकतंत्र के उन पुरोधाओं में से एक थे, जिन्होंने इसके उदार और भारतीय स्वरूप को गढ़ा है। उनके द्वारा बोए गए विचारों और सिद्धांतों के बीजों ने देश को एक वैकल्पिक विचारधारा देने का काम किया है। 

उनकी विचारधारा सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए थी। भारत को उसके गौरव पद पर पुनर्स्थापित करने के लिए थी। उनका मानना था कि जब तक समाज के अंतिम वंचित गरीब व्यक्ति तक सुविधा और विकास नहीं पहुंचते हैं, तब तक देश की स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।उन्होंने राजनीति में सत्ता प्राप्ति के उद्देश्य से प्रवेश नहीं किया, बल्कि हार कर भी मतदाताओं का धन्यवाद करने और विजयी प्रत्याशी को लोकहित में सहयोग की घोषणा की दृष्टि से महान भारत की रचना के लिए काम किया था। वह कहते थे कि हमें आधुनिक तो बनना है, लेकिन पश्चिम का अंधानुकरण नहीं करना है। आर्थिक योजनाओं तथा आर्थिक प्रगति का मापदंड समाज के ऊपर की सीढ़ी पर पहुंचे हुए व्यक्ति नहीं, बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से होगा। इसलिए उन्होंने राजनीति, अर्थनीति और समाज नीति तीनों के केंद्र में अंतिम व्यक्ति का उत्थान रखा। यही अंत्योदय दृष्टिकोण भारतीय चिंतन को पश्चिमी धारणाओं से अलग करता है। 

अंत्योदय की अवधारणा है समाज का सबसे गरीब, सबसे पिछड़ा, सबसे असहाय व्यक्ति भी आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सके। यह विचार केवल अर्थव्यवस्था तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें स्वरोजगार, स्वदेशी, शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, आत्म सम्मान, और सामाजिक न्याय सब कुछ शामिल हैं। उन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भावना के अंतर्गत व्यक्तिगत हितों को सामूहिक दृष्टिकोण के साथ मिश्रित किया। उपाध्याय ने समग्र मानववाद (integral humanism) का दर्शन प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने आध्यात्मिक मूल्यों को भौतिकवाद के साथ एकीकृत करने के संतुलित दृष्टिकोण को भारत के समक्ष प्रस्तुत किया। उनके विचार भारत के सांस्कृतिक मूल्यों का पूरा दर्शन थे। वे आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक समरसता का एकीकरण चाहते थे। 

आज हम भारत में प्रतिवर्ष 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती अंत्योदय दिवस के रूप में मना कर उनके एकात्मक मानववाद और राष्ट्र उत्थान के अंत्योदय दृष्टिकोण के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। राष्ट्रधर्म (मासिक), पांचजन्य (साप्ताहिक) और स्वदेशी (दैनिक) पत्रिकाएं उनके राष्ट्रवाद का ही दर्शन है। आजादी के बाद भारत में पश्चिमी मॉडल पर आधारित योजनाएं बनाई। भारी उद्योग, बड़े बांध और नगरों का विकास हुआ। लेकिन ग्रामीण भारत सदैव उपेक्षित रहा। गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के अवसर सीमित रहे। किसान, मजदूर, गरीबी और कर्ज के बोझ से दबे रहे। दलित, आदिवासी और महिलाएं सामाजिक न्याय से वंचित रहे। इस असंतुलन को साधने में पंडित उपाध्याय का अंत्योदय दृष्टिकोण वर्तमान सरकार के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। जेपी नड्डा के अनुसार ‘2014 से पहले 18000 गांव बिना बिजली के थे। लेकिन 2014 के बाद 2 करोड़ से ज्यादा घरों में बिजली पहुंचाने का काम किया गया। अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको इन तीनों देशों की जनसंख्या को मिलाकर लोग भारत में केवल आयुष्मान योजना के अंतर्गत ₹500000 सालाना के हेल्थ कवर का लाभ ले रहे हैं। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत 1.13 करोड़ आवास निर्धन परिवारों तक पहुंचाने का कार्य किया गया है। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न विकास और आर्थिक यात्राएं अंत्योदय से ही शुरू हुई हैं।आज भारत सरकार की अनेक योजनाएं अंत्योदय की भावना को आत्मसात कर रही है -

♦️ प्रधानमंत्री जनधन योजना 

♦️ उज्ज्वला योजना

♦️ आयुष्मान योजना 

♦️ प्रधानमंत्री आवास योजना

♦️ प्रधानमंत्री मुद्रा योजना

♦️ ग्राम सड़क योजना 

अंत्योदय अन्न योजना जैसी अनेकों योजनाओं द्वारा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन की दिशा में भारत सरकार द्वारा ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। यह सब योजनाएं प्रमाण है कि उपाध्याय का अंत्योदय आज भी नीति निर्माण का आधार है। पंडित दीनदयाल जी का आर्थिक दर्शन अंत्योदय के लिए बेहद प्रासंगिक है। 

उन्होंने भारतीय  मूल्यों पर आधारित एक संतुलित आर्थिक व्यवस्था की वकालत की, जो वर्तमान भारत का मार्गदर्शन कर रही है। दीनदयाल अंत्योदय योजना को आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय के तहत शुरू किया गया था। यह योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का एकीकरण है। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्र के लिए सभी 4041 शहरों और कस्बों को कवर करके पूरी शहरी आबादी को लगभग कवर किया जाएगा। वर्तमान में सभी शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में केवल 790 कस्बों और शहरों को कवर किया गया है। केंद्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए 500 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया  है। ऐच्छिक 550 लाख युवक युवतियों को स्थायी रोजगार से जोड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस विचार को आधार बनाकर अनेक योजनाएँ शुरू की हैं, जिनका सीधा लाभ गरीब और वंचित वर्ग को मिल रहा है। खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से बात करें तो अन्त्योदय राशन कार्ड धारकों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने की योजना ने करोड़ों गरीब परिवारों को भूख की समस्या से मुक्त किया है। यह पहल विशेषकर कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों के लिए जीवनदायिनी साबित हुई थी। 

स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में भी सरकार ने उल्लेखनीय कदम उठाया है। अन्त्योदय कार्ड धारकों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क कैशलेस इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे गंभीर बीमारियों का उपचार अब गरीब परिवारों के लिए किसी बोझ का कारण नहीं रहा। गरीबी के स्थायी समाधान के लिए सरकार ने ‘जीरो पॉवर्टी अभियान’ की शुरुआत की है। ग्राम पंचायत स्तर पर सबसे गरीब परिवारों की पहचान कर उन्हें आवास, किसान सम्मान निधि, पेंशन, आयुष्मान कार्ड, रोजगार और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएँ दी जा रही हैं। इसका लक्ष्य प्रदेश को गरीबी से मुक्त बनाना है।आर्थिक आत्मनिर्भरता की दृष्टि से ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP)’ योजना ने स्थानीय कारीगरों और छोटे उद्यमियों के लिए नए अवसर खोले हैं। इससे स्वदेशी की भावना के साथ साथ स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग और विपणन से उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है।स्पष्ट है कि योगी सरकार ने अन्त्योदय को केवल नारा न बनाकर व्यवहार में उतारा है। खाद्य, स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा की इन योजनाओं ने गरीब वर्ग को सम्मान और आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर किया है। यही वास्तविक अन्त्योदय है।नियमित रूप से योजनाओं की प्रगति की निगरानी के उद्देश्य से प्रबंध सूचना प्रणाली विकसित की गई है।

इन योजनाओं से लोगों की आजीविका में स्थाई सुधार होगा।  ग्राम पंचायत, नामित अधिकारी गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों की सूची बनाते हैं। हर भारतीय नागरिक को उनका सहयोग करना चाहिए और सही जानकारी जुटाने में उनकी सहायता करनी चाहिए। क्योंकि 140 करोड़ की आबादी में योजना के हकदार लोगों को खोजना बहुत बड़ा काम है। वास्तव में अंत्योदय समाज की नैतिक प्रतिबद्धता है, कि विकास उस कमजोर वर्ग तक पहुंचे जहां राष्ट्र की प्रगति का उत्कृष्ट मापदंड अंतिम व्यक्ति का उत्थान हो। अंत्योदय आधुनिक भारत के सामने आने वाली हर प्रकार की चुनौतियों के समाधान हेतु एक सच्चे मार्गदर्शक के सिद्धांत के रूप में सहायतार्थ खड़ा है, जो पंडित दीनदयाल उपाध्याय की दूरदर्शिता का परिणाम है और भारत सरकार का मार्गदर्शन है। केंद्र सरकार दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानववाद के दर्शन को देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए कृत संकल्पित है।