World Association of Hindu Academicians द्वारा हिन्दू विद्वानों का दो-दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया है. सम्मेलन में विचार मंथन के चार मुख्य विषय हैं….
- “हिन्दू”, “Hinduism” और “हिन्दुत्व” शब्दों का व्याख्यान: इन शब्दों पर बड़ी भ्रांति है. अधिकांश एवं बहु-प्रचलित व्याख्यान हिन्दुओं को बांटने, विभाजन करने और हिन्दू द्वेषी बनाने के उद्देश्य से किए गए हैं. “Hinduism” शब्द ब्रिटिश शासन के दौरान आविष्कृत हुआ था, जबकि “हिन्दू” शब्द बहुत प्राचीन, स्वदेशी है, सम्मानजनक है, और भारत की आध्यात्मिक परंपराओं को मानने वाले लोगों को संदर्भित करने के लिए एक सामान्य शब्द के रूप में उपयोग किया गया है. इसका उपयोग इसी अर्थ में, भारतीय और विदेशीजनों ने आदि काल से किया है. “हिन्दुत्व” शब्द हिन्दू के मर्म को इंगित करता है, जिस प्रकार से “Christianity” शब्द क्रिश्चियन धर्म के मूल भाव के लिए है. सम्मेलन में उपस्थित विद्वान समुदाय में सहमति बनी है कि “हिन्दू”, “हिन्दू धर्म” और “हिन्दुत्व” शब्दों की ऐसी मीमांसा मजबूत साक्ष्य और स्वर्णिम तर्कों से पुष्ट है.
- हिन्दुओं और हिन्दू सभ्यता के बारे में आपत्तिजनक कथानक: सम्मलेन प्रतिभागियों ने यह भी आग्रह किया कि वर्तमान में हिन्दुओं और हिन्दू सभ्यता से संबंधित कथानक, जो सार्वजनिक वार्तालाप में प्रचलित हैं, नकारात्मक, विकृत, और झूठ पर आधारित हैं. इसका मूल कारण पहले ब्रिटिशों, और बाद में अभारतीय विचारधाराओं पर आधारित पाठ्यक्रम है. उनके प्रयासों का परिणाम हुआ है कि तथ्य और वस्तुनिष्ठ सत्यों को काल्पनिक कथाओं से बदल दिया गया है. ऐसे अप्रमाणिक कथानक अभारतीय विचारधारा के पक्षधरों द्वारा कई दशकों से पुनरावृत्त होते रहे हैं. इस प्रकार, सभी स्तरों (स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय) और ज्ञान के सभी क्षेत्रों (सामाजिक विज्ञान, शास्त्रीय कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी) के पाठ्यक्रमों की महत्वपूर्ण समीक्षा और किसी भी ऐसे तथाकथित “सिद्धांत” को हटाने की आवश्यकता है जो साक्ष्य पर आधारित नहीं है. हमारा यह आग्रह भारत के आधिकारिक आदर्श-वाक्य, और उपनिषद के मंत्र, “सत्यमेव जयते”, पर आधारित है.
- भारतीय भाषाएं एवं नयी शिक्षा नीति: नई शिक्षा नीति ने भारतीय भाषाओं के उपयोग को सभी संभव तरीकों से मजबूत करने की आवश्यकता को बल दिया है. इसी सम्बन्ध में इस विषय पर भी चर्चा हुई कि किस प्रकार डिजिटल मीडिया और आधिकारिक दस्तावेजों भारतीय लिपियों और ध्वनियों का सही रूप से प्रयोग हो सके.
- भारतीय ज्ञान की वर्तमान प्रासंगिकता: अंततः, कॉन्फ्रेंस में भारतीय ज्ञान से किस प्रकार देश-विदेश की विविध समस्याओं का हल निकला जा सकता है, इस पर भी चर्चा की गयी.
सम्मेलन में उपस्थित लोगों ने फैसला किया है कि जनवरी 2024 में एक वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा.