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गुरुकुल जैसी शिक्षा जरूरी: डॉ. मोहन भागवत

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गायत्री मंत्र की गूंज, गणवेश में गुरुकुल की बेटियां और चहुंओर सनातन धर्म व संस्कारों की बात, जी हां यह सुरम्य वातावरण था उत्तर प्रदेश के अमरोहा में। श्रीमद् दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में 30 जुलाई को मंत्रमुग्ध कर देने वाला यह दृश्य देख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत भी गदगद हो गए। कुल 134 छात्राओं के उपनयन संस्कार में दत्तक पिता की भूमिका निभाने के साथ ही सरसंघचालक ने उनका दस सूत्र वाक्य के साथ सफल जीवन के लिए मार्गदर्शन भी किया। मोहन भागवत ने कहा कि ऐसी शिक्षा पाना सौभाग्य की बात है।  देश को बड़ा करने के लिए ऐसी ही शिक्षा जरूरी है। नई शिक्षा पद्धति की सराहना करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इसमें लगे विशेषज्ञों को ऐसे गुरुकुल में आने की सलाह दी। इसके अलावा संघ प्रमुख ने छात्राओं के प्रश्नों का समाधान करते हुए सभी की जिज्ञासा भी शांत की।


साथ ही चोटीपुरा स्थित कन्या गुरुकुल में संघ प्रमुख ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति श्रीनिवास बरखेड़ी संग संस्कृति नीडम् (सभागार) का भी शुभारंभ किया। इससे पहले विधि-विधान के साथ यज्ञोपवीत धारण कराकर 134 बेटियों का उपनयन संस्कार कराया गया। यज्ञशाला में वह पिता के रूप में मौजूद रहे, जबकि आचार्य के रूप में कुलपति बैठे। नई शिक्षा पद्धति से सुधार को लेकर आशान्वित संघ प्रमुख ने कहा कि इससे जुड़े विशेषज्ञों से कहूंगा कि ऐसे विद्यालय में जाइए, वहां क्या हो रहा है, छात्रों के आत्मविश्वास को देखिए। उन्होंने छात्राओं को व्यक्तित्व विकास के बारे में भी समझाया और अपने अंदर छिपे दैवीय गुणों को व्यवहार में लाने की सीख दी। और कहा कि उनके बाहर लाने से देश और समाज का कल्याण होगा। मनुष्य अपने कर्मों से छोटा-बड़ा बनता है। देश चलाने के लिए जितना बहुत बड़ा व्यक्ति काम करता है, उतना ही कोई अन्य काम करने वाला व्यक्ति भी। इसलिए देश के कार्य में सभी का योगदान जरूरी है।