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कुटुंब प्रबोधन: संस्कारों से सशक्त होता परिवार

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धामपुर में एक छोटी गली में आपको एक हवेलीनुमा घर नजर आएगा, जो वर्मा परिवार का आशियाना है। इस परिवार के 20 सदस्य एक साथ, एक ही छत के नीचे रहते हैं। सबसे छोटे सदस्य की उम्र सात वर्ष है और वह उस घर में रहता है जिसकी नींव उसके पर-परदादा ने रखी थी। कल्पना कीजिए, दादा के दादा का बनाया घर और उसमें आज उनके परपोते खेल रहे हैं! ये नजारा अपने आप में कितना अद्भुत है।

क्या आपने कभी ऐसे परिवार के बारे में सुना है जिसमें 20 सदस्य एक साथ रहते हों और उनके बीच अटूट एकता का बंधन हो?  शायद नहीं!  आजकल के समाज में, जहां एकल परिवार का चलन बढ़ गया है, ऐसे संयुक्त परिवार का मिलना वाकई दुर्लभ है। भारत में आज भी ऐसे अनेक परिवार हैं जो हजारो वर्ष प्राचीन भारत की कुटुंब परम्परा को संरक्षित रखे हुए हैं। ऐसा ही एक परिवार है उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के धामपुर का वर्मा परिवार। एक ऐसा परिवार जो एकता का उदाहरण प्रस्तुत करता है और हमें कुटुंब के महत्व का अहसास कराता है।

धामपुर में एक छोटी गली में आपको एक हवेलीनुमा घर नजर आएगा, जो वर्मा परिवार का आशियाना है। इस हवेली की दीवारों में कई पीढ़ियों की यादें बसी हैं। यहां की सबसे खास बात यह है कि इस परिवार के 20 सदस्य एक साथ, एक ही छत के नीचे रहते हैं। सबसे छोटे सदस्य की उम्र सात वर्ष है और वह उस घर में रहता है जिसकी नींव उसके पर-परदादा ने रखी थी। कल्पना कीजिए, दादा के दादा का बनाया घर और उसमें आज उनके परपोते खेल रहे हैं। ये नजारा अपने आप में कितना अद्भुत है!

अब आप सोच रहे होंगे कि इतने बड़े परिवार में सब एक साथ कैसे रहते होंगे? क्या कभी झगड़े नहीं होते? अलग-अलग विचारों और पसंद-नापसंद के बावजूद सब में इतनी एकता कैसे है? यही तो इस परिवार की खासियत है। उनके बीच का रिश्ता इतना गहरा है कि छोटी-छोटी बातों पर होने वाले मनमुटाव पल भर में दूर हो जाते हैं। यहां किसी भी प्रकार का झगड़ा या विवाद देखने को नहीं मिलता। आजकल के जमाने में, जहां छोटी-छोटी बातों पर परिवार टूट जाते हैं, वर्मा परिवार का यह सामंजस्य और एकता देखकर आश्चर्य होता है और मन में कई सवाल उठते हैं।

इस परिवार की सबसे बड़ी ताकत है उनकी एकता। जब कभी कोई परेशानी आती है, तो सब मिलकर उसका सामना करते हैं। जैसे एक मजबूत दीवार तूफान का रुख मोड़ देती है, वैसे ही यह परिवार एकता की शक्ति से हर मुश्किल को हरा देता है। दुख की घड़ी में सब एक-दूसरे का सहारा बनते हैं और पलक झपकते ही मुश्किल हल हो जाती है। क्या ये कोई जादू है? नहीं, ये सिर्फ और सिर्फ आपसी प्रेम और समझ का नतीजा है।

और जब खुशियों का मौका आता है, तो इस परिवार का आनंद दोगुना हो जाता है। किसी एक सदस्य की सफलता या खुशी, पूरे परिवार के लिए उत्सव का कारण बन जाती है। हर चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक दिखाई देती है। ऐसा लगता है जैसे बीस लोगों की खुशियां मिलकर एक महासागर बन गई हों। क्या आपके आस-पड़ोस में भी ऐसा नज़ारा देखने को मिलता है? शायद नहीं! इसीलिए वर्मा परिवार की कहानी इतनी खास है।

वर्मा परिवार की कहानी सिर्फ एक कहानी नहीं है, यह एक सीख है, एक प्रेरणा है। यह हमें सिखाती है कि कुटुंब का महत्व क्या होता है और एकता में कितनी शक्ति होती है। यह परिवार हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की डोर कितनी नाजुक होती है और इसे कितने प्यार और समझदारी से संजोकर रखना चाहिए। क्या हम इस सीख को अपने जीवन में अपना सकते हैं?

आजकल के एकल परिवारों में, जहां हर कोई अपने में व्यस्त है, वर्मा परिवार की एकता एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है। यह हमें उम्मीद की एक नई किरण दिखाती है। यह हमें बताती है कि अभी भी प्रेम, त्याग और समर्पण के बल पर एक मजबूत और खुशहाल परिवार का निर्माण किया जा सकता है। कुटुंब प्रबोधन का यही सच्चा अर्थ है। तो चलिए, आज हम सब मिलकर ये संकल्प लेते हैं कि अपने परिवारों को भी वर्मा परिवार की तरह एकजुट और खुशहाल बनाएंगे।