संघ संस्मरण
डॉ. हेडगेवार जी के साथ चर्चा करते हुए गांधी जी ने उनसे पूछा आपकी एक स्वयंसेवक की सटीक धारणा क्या है? तब डॉ. हेडगेवार जी ने उत्तर दिया - “स्वयंसेवक वह व्यक्ति है जो प्रेमपूर्वक अपने देश की चहुँमुखी प्रगति के लिए अपना जीवन समर्पित कर सके। ऐसे स्वयंसेवकों का निर्माण करना और उन्हें उस ओर मोड़ना ही संघ का उद्देश्य है। संघ में एक स्वयंसेवक तथा एक नेता में कोई अंतर नहीं है। हम सभी स्वयंसेवक हैं और बराबर हैं। हम सभी को समान रुप से प्यार करते हैं और आदर प्रदान करते हैं। हमारे बीच पद संबंधी अंतर के लिए कोई स्थान नहीं है। यह सच में इतने कम समय में और बिना किसी बाहरी सहायता, पैसा या प्रचार के संघ की अपार सफलता और उन्नति का राज है।”
।। 26 दिसम्बर 1934, वर्धा शिविर ।।