संघ संस्मरण
3 दिसंबर 1971 के दिन पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। मराठी लेखक भिषिकर के अनुसार, “उस समय नागपुर में युवा स्वयंसेवकों के लिए प्रशिक्षण शिविर चल रहा था। गुरुजी ने तुरंत आक्रमण के बारे में एक बयान जारी किया और लोगों को उनकी तदनुसार जिम्मेदारियों के बारे में बताया। उनके इस बयान की लाखों प्रतियां स्वयंसेवकों द्वारा घर-घर जाकर वितरित की गई।”
4 दिसंबर, 1971 को जारी अपने एक बयान में गुरुजी ने देश के नागरिकों से अपील करते हुए कहा, “मातृभूमि के लिए सच्चे स्नेह से प्रेरित एकता ही हमें विजय के पथ पर आगे ले जा सकती है। पाकिस्तान खुल्लम-खुल्ला हम से युद्ध करने पर उतर आया है। हमारी सरकार और सेना इस चुनौती का सामना करने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम है, परन्तु हमें अपनी जनता के उत्साह को ऊँचा रखना अत्यावश्यक है तथा हमें अपने खेतों और कारखानों में उत्पादन को ऊँचे स्तरों पर रखना होगा। इसके अतिरिक्त, मोर्चे पर भी विद्यमान हमारे सैनिक यह महसूस कर पाएं कि सम्पूर्ण देश उनके साथ खड़ा है। नागरिक सुरक्षा, रक्तदान, घायल सैनिकों की चिकित्सा सेवा आदि कार्य कुछ अति आवश्यक कार्य हैं, जिनका आयोजन हमें अब करते रहना होगा।”
।। 5 सरसंघचालक, अरुण आनंद, प्रभात प्रकाशन, प्रथम संस्करण-2020, पृष्ठ- 99 ।।