यथार्थ अस्पताल ग्रेनो वेस्ट में देवर्षि नारद
जयंती और हिन्दी पत्रकारिता दिवस का आयोजन प्रेरणा जनसंचार एवं शोध संस्थान द्वारा
आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान पत्रकारिता जगत से जुड़े दिग्गज पत्रकारों ने
समृद्ध और सशक्त भारत के निर्माण में सत्यनिष्ठ पत्रकारिता इतना आवश्यक क्यों है, इसपर अपने विचार रखे। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत शंखनाद के बीच दीप
प्रज्वलन के साथ हुआ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष विष्णु प्रकाश त्रिपाठी, कार्यकारी संपादक दैनिक जागरण समूह ने अपने
अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि नारद जयंती का कार्यक्रम यथार्थ अस्पताल में हो रहा
है। अद्भुत संयोग ही है कि पत्रकारिता का मूल चिंतन भी यथार्थ है। पत्रकारिता की
मूल अवधारणा संयोजकता सतर्कता का समीकरण होकर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बना है।
उन्होंने पत्रकारों से आग्रह किया है कि उन्हें माया मत लोभ मोह से बचना चाहिए।
पौराणिक प्रसंगों में नारद जी के द्वारा जल दान का उल्लेख है जो नारद मुनि के
पारदर्शिता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पत्रकार तटस्थ और निरपेक्ष नहीं रह
सकते। उन्हें सापेक्ष रहना चाहिए सत्यवादी ना हों ,लेकिन
सत्य निष्ठ अवश्य हों। पारदर्शिता के साथ कार्य करें। तभी समृद्ध और सशक्त भारत का
निर्माण होगा।
इस मौके पर मुख्य वक्ता उमेश उपाध्याय,
वरिष्ठ पत्रकार लेखक एवं मीडिया विश्लेषक ने प्रेरक संबोधन में कहा कि आज की
तारीख में पत्रकारिता आईसीयू की ओर अग्रसर है,
क्योंकि यह सत्य निष्ठा और वास्तविकता से कोसों दूर है। तकनीकी और विरोधी
आख्यान प्रस्तुत करने की कला के कारण हमारी विरासत परंपरा का सदियों से दोहन होता
चला रहा है। जरूरी है इससे बचने की। तभी भारत समृद्ध और सशक्त होगा। कृपाशंकर, द्वि क्षेत्र प्रचार प्रमुख,
उत्तर प्रदेश एवम उत्तराखंड क्षेत्र,
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने प्रेरक उद्बोधन में पत्रकार बंधुओ को अवगत
करवाया के प्रचार विभाग 1994 में बना था तथा वर्ष 2000 से पहले लोग नारद जयंती के
कार्यक्रम में आने से भी हिचकिचाते थे। प्रेरणा जनसंचार एवं शोध संस्थान का चिंतन
समाज के कल्याण के लिए है। यह अनवरत यात्रा चलती रहेगी। हमारा मूल मंत्र वैसे भी
है चरैवेति चरैवेति। अंत मे प्रश्नोत्तरी के दौरान उपस्थित पत्रकार एवं श्रोताओं
ने अपने प्रश्न पूछे और जिज्ञासा शांत की। इस अवसर पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा,
ग़ाज़ियाबाद आसापास क्षेत्र के पत्रकार एवं मीडिया संस्थान के प्रतिनिधि मौजूद
रहे।।