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हिन्दू संगठित तो देश संगठित – रामदत्त चक्रधर जी

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छत्रपति संभाजीनगर, महाराष्ट्र

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर जी ने कहा कि भारत में एकता में विविधता है। हमारे बीच विविधताएँ होते हुए भी हम एक हैं। भारत एक प्राचीन हिन्दू राष्ट्र है। जब समाज अपने ‘स्व’ बोध को भूल जाता है, तो राष्ट्र-विरोधी शक्तियाँ हमें विभाजित करती हैं। इसलिए हिन्दू समाज को सदैव संगठित रहना होगा। यदि हिन्दू संगठित रहेंगे, तो देश भी संगठित रहेगा। रामदत्त चक्रधर जी गुरुगोविंदसिंह नगर के विजयादशमी उत्सव में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. मुनीश जी शर्मा, प्रांत संघचालक अनिल जी भालेराव मंच पर उपस्थित रहे।


रामदत्त चक्रधर जी ने कहा, “दुनिया भर में कई जगहों पर अशांति का माहौल है। दुनिया के कई देश सांस्कृतिक और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे हैं। ऐसे में प्रगति कर रहा और सशक्त होता भारत दुनिया का आकर्षण बन रहा है। लेकिन कुछ ताकतें भारत को पीछे खींचने की लगातार कोशिश भी कर रही हैं। राष्ट्रविरोधी ताकतें समाज को बांटने, दो समाजों के बीच दरार डालने और अराजकता फैलाने के प्रयोग कर रही हैं। इसके लिए समाज का सजग और एकजुट रहना आवश्यक है। यह याद रखना चाहिए कि हिन्दू एकजुट हैं तो देश एकजुट है।


उन्होंने कहा कि संपूर्ण समाज को सशक्त बनाने के लिए हमें अपने कार्यों में पंच परिवर्तन लाने होंगे पर्यावरण के अनुकूलजीवनशैली, ‘स्व’ का बोध, भेदभाव रहित व्यवहार, नागरिक कर्तव्यों का पालन और परिवार प्रबोधन। संघ ने हिन्दू समाज में स्वाभिमान जगाने का काम किया है। संघ की शाखा चरित्रवान समाज निर्माण का केंद्र है। इसके लिए गाँवों में शाखाएँ बढ़ानी चाहिए। संघ ने अपनी यात्रा समाज को साथ लेकर की है और आगे भी करता रहेगा। इस महोत्सव में शहर के स्वयंसेवकों के साथ-साथ समाज के सदस्य और नागरिक भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।