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भोंसले राजाओं के संगठन कौशल के कारण भारत अखण्ड रहा – डॉ. मोहन भागवत जी

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नागपुर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज एक लोकमान्य राजा थे। उनके प्रत्येक प्रयोग पर विश्व की गहरी नजर रहती थी। उन्होंने देव, देश और धर्म के लिए सभी को संगठित करके हिन्दू राष्ट्र की शक्ति का निर्माण किया। उनकी इसी परंपरा को तत्कालिन कई अन्य राजाओं के साथ शिवाजी महाराज की विरासत चलाने वाले नागपुर के भोंसले घराने ने कायम रखा। उनके इसी संगठन कौशल के कारण भारत अखंड रहा।

अटक से कटक तक शानदार प्रदर्शन करने वाले नागपुर के भोंसले राजाओं के जीवन पर आधारित, उदय जोशी द्वारा लिखित चार उपन्यास, आदिपर्व, संघर्षपर्व, कलहपर्व और रसपर्व और डॉ. भालचंद्र हरदास द्वारा लिखित पुस्तकों महालची भ्रमंती और धर्मभूषण श्रीमंत राजे लक्ष्मणराव महाराज भोंसले का शुक्रवार को लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर सरसंघचालक जी ने उपस्थित जनों को संबोधित किया।

इतिहास भविष्य को दिशा देता है। इसलिए उन्होंने नागपुर के भोंसले राजाओं के बलिदान के इतिहास को सभी को पढ़ने और समझने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भोंसले घराना और संघ का संबंध राजे लक्ष्मणराव भोंसले और डॉ. हेडगेवार जी के समय से है। शिवाजी महाराज द्वारा दी गई प्रेरणा भोंसले घराने के माध्यम से नागपुर में व्याप्त हुई और इसीलिए संघ का जन्म इसी धरती से हुआ होगा।

महल स्थित वरिष्ठ भोंसले पॅलेस में आयोजित कार्यक्रम में अंजनगांव सुर्जी के श्रीनाथ पीठाधीश्वर जितेंद्रनाथ महाराज जी, श्रीमंत मुधोजी राजे भोंसले, लाखे प्रकाशन के निदेशक चंद्रकांत लाखे, लेखक उदय जोशी और डॉ. भालचंद्र हरदास मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

सरसंघचालक जी ने कहा कि अपनी पहचान भूलने के कारण हमारा समाज विभाजित हो गया था। लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने मित्रों को एकत्रित किया और शक्ति का निर्माण किया। जब तक शिवाजी महाराज के हमारे देश और धरती के बारे में विचार प्रभावी थे, तब तक हमारा इतिहास गौरवशाली था। हमें महाराज की अपनत्व की इस प्रेरणा को याद रखना चाहिए। अनादि काल से भारत पर निरंतर आक्रमण होते रहे हैं। लेकिन कोई भी विदेशी आक्रमणकारी एक रात भी चैन से नहीं सो पाया। जब से विदेशी आक्रमणकारियों ने इस देश में पैर रखा, उनका लगातार विरोध किया गया।

उन्होंने कहा कि नागपुर के भोंसले परिवार ने अंत तक इस परंपरा का निर्वहन किया। सरसंघचालक जी ने कहा कि अप्पासाहेब भोंसले ने काबुल से कंधार तक अंग्रेजों के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी, वह इसका संकेत है। हमें गर्व है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की दहलीज नागपुर में है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा के लिए भोंसले हवेली का प्रांगण खोला था।

जितेंद्रनाथ महाराज जी ने कहा कि भोंसले घराने को कई संतों का आशीर्वाद प्राप्त है। भोंसले घराने का यह इतिहास सभी भाषाओं में लोगों के सामने लाया जाना चाहिए। मुधोजी राजे भोंसले ने कहा कि इन पुस्तकों के माध्यम से भोंसले घराना और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ-साथ श्रीनाथ पीठ के गुरु परिवार के संबंधों को उजागर किया गया है। लेखक उदय जोशी ने अपने चारों उपन्यासों के पीछे की अवधारणा को भावपूर्ण ढंग से समझाया। डॉ. हरदास ने महल की विशेषताओं, भोंसले परिवार और संघ के संबंधों और पुस्तक की संरचना के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन प्रकाश एदलाबादकर ने किया।