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हम जातियों में बंटे रहे तो एक दिन भारत से ही विलोप हो जाएंगे : साध्वी ऋतंभरा

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देश में जातिवाद से अलग हटकर सदैव अपनी संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए. ऐसा ही एक खास संदेश साध्वी ऋतंभरा जी ने सत्य सनातन सेवार्थ संस्थान द्वारा भागवत पीठ आश्रम में आयोजित 48वें श्रीमद्भागवत व राधाष्टमी महोत्सव में दिया. इस विशेष अवसर पर उन्होंने कहा कि वर्तमान में सनातन धर्म पर कुठाराघात हो रहा है, उसके लिए सभी को एकत्र होने की अत्यंत आवश्यकता हैं. यदि हम जातियों में बंटे रहे तो, भारत से अलग हो जाएंगे.

भारत सनातनियों का देश हैं और हमे हर हाल में इसकी रक्षा करनी है. यह विशेष कार्यक्रम ब्रज विभूति परिव्राजकाचार्य, स्वामी ब्रजरमणाचार्य व शिरोमणि भागवत भूषण आचार्य स्वामी किशोरीमणाचार्य महाराज की स्मृति में किया जा रहा था. इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान देने वाली प्रतिष्ठित विभूतियों को भी सम्मानित किया गया. धर्म के क्षेत्र में साध्वी ऋतंभरा, डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, डॉ. ओमजी आदि को ब्रज रत्न से सम्मानित किया गया.

फिर प्रवचन की प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया. स्वामी अनिरुधाचार्य जी व स्वामी गोविंदानंद तीर्थ जी कहते हैं कि महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत सामान्य ग्रन्थ नहीं है, बल्कि यह तो भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरुप है. कार्यक्रम के व्यवस्थापक युवराज धराचार्य ने श्री राधा कृष्ण को एक बताया हैं.

सम्मेलन में लाडली शरण महाराज, महंत सुन्दरदास महाराज, डॉ. राम सुदर्शन मिश्रा, भागवताचार्य मृदुलकान्त, शास्त्री सहित आदि उपस्थित हुए थे. राकेश शर्मा व जेएसके मधुकर ने श्रीराधारानी जी की बधाई सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया.

यदि अपनी संस्कृति को बचाना है तो हमें सदैव एकजूट होकर रहना होगा. जातिवाद, भेदभाव, उंच-नीच से अलग हटकर भारत की रक्षा करनी है