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‘आतंकियों की मदद की तो परिणाम भुगतने होंगे’, आतंक के मददगारों को जम्मू कश्मीर पुलिस प्रमुख की चेतावनी

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भारत विशेषकर जम्मू कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान ने ड्रोन ड्रॉपिंग, सुरंग निर्माण, तारबंदी काटने और आत्मघाती हमलों जैसी तमाम साजिशें कीं, लेकिन सफल नहीं हो पाया. अब, पाकिस्तान एक बार फिर 1990 के दशक की रणनीति को दोहराने का प्रयास कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सीजफायर का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान ने बड़े पैमाने पर आतंकियों की घुसपैठ करवाई है. बसंतगढ़, कठुआ के सैडा सोहल और भद्रवाह के छत्रगलां टॉप पर हुए आतंकी हमलों और मुठभेड़ों से इसकी पुष्टि होती है.

जम्मू कश्मीर में ताजा हालातों का जायजा लेने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस प्रमुख (DGP) आरआर स्वैन ने गुरुवार को रियासी का दौरा किया. उन्होंने सर्च ऑपरेशन की जानकारी ली और आवश्यक निर्देश दिए. मीडिया से बातचीत में कहा कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में शांति और प्रगति के माहौल को बिगाड़ने के लिए षड्यंत्र रच रहा है.

डीजीपी स्वैन ने आतंकियों के साथ-साथ उनके सहयोगियों को भी कड़ी चेतावनी दी. उन्होंने कहा, “हाल के दिनों में जम्मू संभाग के इलाकों में हुई घटनाएं सुरक्षा के लिए एक चुनौती हैं”. दुश्मन का मकसद नागरिकों को जबरन भर्ती करना, उन्हें प्रशिक्षित करना और फिर उन्हें यहां भेजकर समस्याएं उत्पन्न करना है. वे विदेशी आतंकवादियों को क्षेत्र में प्रवेश कराने और अराजकता फैलाने के लिए दुर्गम इलाकों का उपयोग कर रहे हैं. हम इन गतिविधियों का जवाब देने के लिए तैयार हैं. हम अपने संसाधनों की मैपिंग कर रहे हैं.

अब जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों की संख्या अधिक नहीं है, लेकिन वे कानून के दायरे से बाहर हैं और उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए वे बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा सकते हैं. जब वे स्थानीय लोगों को भर्ती करने में विफल होते हैं, तो वे अपने नागरिकों को भर्ती करके भेजते हैं. दुश्मन के एजेंटों की पहचान कर ली गई है. जम्मू-कश्मीर के लोग और हितधारक अगर आतंकवादियों की मदद करते हैं तो उनके पास खोने के लिए सब कुछ है. हम चेतावनी देते हैं कि अगर वे राष्ट्रीय हित के खिलाफ जाते हैं तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.