- उत्तराखंड के रुद्रनाथ धाम में भक्ति, परंपरा और आस्था का संगम
देहरादून : देवभूमि उत्तराखण्ड में स्थित पंचकेदार भगवान शिव के पांच दिव्य स्वरूपों का प्रतीक हैं। इन तीर्थों में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ विशेष रूप से तप, भक्ति और आत्मशुद्धि का केंद्र माने जाते हैं। हर वर्ष कपाट खुलने का यह क्षण हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए केवल दर्शन नहीं, अपितु भगवान रुद्र के सान्निध्य का पुनः अनुभव होता है—जहाँ प्रकृति और परमात्मा एकाकार होते हैं। रविवार प्रातः चार बजे विधिविधान से पूजा-अर्चना कर भगवान रुद्रनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोल दिए गए। कपाट खुलते ही मंदिर प्रांगण ‘जय रुद्रनाथ’ और ‘हर हर महादेव’ के गगनभेदी घोषों से गूंज उठा। मंदिर को गेंदे के पुष्पों से सजाया गया, जिससे सम्पूर्ण वातावरण शिवमय हो गया।
इस पावन क्षण के साक्षी बनने हेतु 500 से अधिक श्रद्धालु हिमालय की कठिन यात्रा कर मंदिर पहुंचे। शुक्रवार को शीतकालीन गद्दीस्थल गोपीनाथ मंदिर (गोपेश्वर) से भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली पुंग बुग्याल पहुंची थी। शनिवार को डोली अपने भक्तों के साथ रुद्रनाथ मंदिर परिसर में पहुँची, जहाँ पुजारी सुनील तिवारी ने विशेष पूजा, आरती और भोग अर्पण की। डोली के मंदिर प्रांगण में प्रवेश करते ही पूरा क्षेत्र शिवभक्ति से गूंज उठा। भक्तों ने मंत्रोच्चार और शंखध्वनि के साथ भगवान का अभिवादन किया। कपाट उद्घाटन के साथ ही केदारखण्ड एक बार पुनः शिवमय हो उठा और आस्था की यह यात्रा आरंभ हुई जो आत्मा को शुद्ध करती है, और श्रद्धा को संकल्प में बदल देती है।